हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ने का सपना देखने वाले भारतीय और अन्य विदेशी छात्रों को अब नई और सख्त शर्तों का सामना करना पड़ेगा। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने हाल ही में एक नई नीति जारी की है, जिसके तहत कैंपस में रहने और पढ़ाई जारी रखने के लिए छात्रों को 72 घंटे के भीतर 6 अहम शर्तें पूरी करनी होंगी। यह कदम सुरक्षा, पारदर्शिता और अकादमिक अनुशासन को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
क्या हैं ये 6 शर्तें?
- सत्यापित आव्रजन दस्तावेज़ (Immigration Compliance):
छात्रों को I-20 या DS-2019 फॉर्म, पासपोर्ट और F-1/J-1 वीजा की वैध कॉपी हार्वर्ड पोर्टल पर अपलोड करनी होगी।
- स्वास्थ्य जांच और टीकाकरण प्रमाणपत्र (Health Clearance):
COVID-19 समेत अन्य वैक्सीन सर्टिफिकेट्स और हार्वर्ड मेडिकल सर्विसेज से मान्यता प्राप्त हेल्थ स्क्रीनिंग रिपोर्ट जमा करनी होगी।
- कैम्पस रेसिडेंसी एग्रीमेंट (Housing Agreement):
हार्वर्ड के हॉस्टल्स या आवासीय सुविधा में रहने के इच्छुक छात्रों को एक डिजिटल अनुबंध पर हस्ताक्षर करने होंगे, जिसमें नियम और शर्तें स्पष्ट होंगी।
- ऑनलाइन ओरिएंटेशन पूरा करना (Mandatory Orientation Module):
छात्रों को हार्वर्ड का अनिवार्य डिजिटल ओरिएंटेशन कोर्स पूरा करना होगा, जिसमें यूनिवर्सिटी की नीतियां, सुरक्षा निर्देश और व्यवहार संहिता शामिल हैं।
- फाइनेंशियल डिक्लेयरेशन (Financial Commitment):
छात्र को यह घोषित करना होगा कि वह अपनी पढ़ाई और रहने के खर्च को पूरा करने में सक्षम है। इसके लिए बैंक स्टेटमेंट या स्पॉन्सरशिप प्रूफ देना अनिवार्य है।
- AI और डिजिटल एथिक्स की शपथ (AI & Academic Integrity Oath):
एक नया नियम जिसके तहत सभी छात्रों को शपथ लेनी होगी कि वे AI टूल्स का उपयोग जिम्मेदारी से करेंगे और शैक्षणिक बेईमानी नहीं करेंगे।
क्यों दी गई है 72 घंटे की समयसीमा?
हार्वर्ड प्रशासन का कहना है कि यह निर्णय “सुरक्षा, प्रशासनिक पारदर्शिता और अंतरराष्ट्रीय छात्रों के समुचित दस्तावेज़ीकरण” सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।
यदि कोई छात्र 72 घंटे के भीतर इन शर्तों को पूरा नहीं करता, तो:
- उसकी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया रोक दी जाएगी
- हॉस्टल अलॉटमेंट रद्द किया जा सकता है
- आव्रजन अधिकारियों को रिपोर्ट किया जा सकता है
भारतीय छात्रों में चिंता
हार्वर्ड में पढ़ रहे और नए दाखिला लेने जा रहे भारतीय छात्रों में इस नीति को लेकर बेचैनी बढ़ गई है। एक छात्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया: “हम पहले ही वीज़ा, फ्लाइट्स और रहने के खर्च में उलझे हैं, अब ये 72 घंटे की डेडलाइन और डॉक्यूमेंट्स का बोझ हमारी चिंता बढ़ा रहा है।”