हरियाली अमावस्या का दिन प्रकृति के पूजन के साथ-साथ पितृ शांति के लिए भी बेहद खास माना जाता है। इस दिन किए गए उपायों से पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है और ancestral blessings प्राप्त होते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन की गई तर्पण, दान और पूजा विशेष फलदायी होती है।
क्या होता है पितृ दोष?
पितृ दोष एक ज्योतिषीय दोष है, जो जन्मकुंडली में तब उत्पन्न होता है जब पूर्वजों की आत्मा असंतुष्ट होती है या उनके प्रति कोई कर्म अधूरा रह जाता है। इसका असर जीवन में कई तरह की बाधाओं, संतान संबंधी परेशानियों, आर्थिक संकट और मानसिक अशांति के रूप में देखा जाता है।
🕉 हरियाली अमावस्या पर पितृ दोष से मुक्ति के उपाय:
- पिपल वृक्ष की पूजा करें – जल, दूध, दीपक और धूप अर्पित करें। ‘ॐ नमः शिवाय’ या ‘ॐ पितृ देवाय नमः’ मंत्र का जाप करें।
- पितरों का तर्पण करें – गंगाजल, तिल और कुश से पितरों का तर्पण करें।
- गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराएं – विशेष रूप से काले तिल, सफेद वस्त्र, मिठाई और दक्षिणा का दान करें।
- कौओं को भोजन दें – यह माना जाता है कि पितृ लोक से पितर कौए के रूप में आते हैं।
- रुद्राभिषेक या पितृ शांति पाठ कराएं – किसी योग्य पंडित से रुद्राभिषेक या पितृ दोष निवारण हवन करवाना शुभ होता है।
- पीपल के नीचे दीपक जलाएं – खासकर शाम के समय घी का दीपक लगाएं और मौन साधना करें।
इन कार्यों से प्राप्त होते हैं लाभ:
- पारिवारिक कलह में कमी आती है
- आर्थिक स्थिति में सुधार होता है
- संतान सुख मिलता है
- मन में शांति और स्थिरता आती है
- पूर्वजों की कृपा बनी रहती है