गुरु पूर्णिमा महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में मनाई जाती है। वेदव्यास ने चारों वेदों का वर्गीकरण किया, महाभारत की रचना की और 18 पुराणों की स्थापना की। उन्हें “आदिगुरु” कहा जाता है। उनकी विद्वता और योगदान को श्रद्धांजलि देने के लिए यह पर्व मनाया जाता है। संस्कृत श्लोक “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः…” के अनुसार, गुरु को ईश्वर के समकक्ष माना गया है। गुरु पूर्णिमा के दिन शिष्य अपने गुरु के चरणों में कृतज्ञता अर्पित करते हैं और मार्गदर्शन की कामना करते हैं।
गुरु पूर्णिमा का पर्व भारतीय संस्कृति में गुरु की महिमा का बखान करने वाला अत्यंत शुभ दिन है। यह दिन ज्ञान, श्रद्धा और आभार प्रकट करने का प्रतीक है। वर्ष 2025 में यह पर्व 10 जुलाई, बुधवार को मनाया जा रहा है। शास्त्रों में कहा गया है – “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः” यानी गुरु को त्रिदेवों के समान पूजनीय माना गया है।
गुरु पूर्णिमा 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त:
- तिथि: 10 जुलाई 2025, बुधवार
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 10 जुलाई को प्रातः 04:01 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 11 जुलाई को प्रातः 05:30 बजे तक
- गुरु पूजन मुहूर्त: सुबह 06:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक उत्तम समय
पौराणिक कथा: भगवानों की गुरु वंदना
शास्त्रों में उल्लेख है कि भगवान राम ने गुरु वशिष्ठ और भगवान कृष्ण ने गुरु संदीपनी को पूज्य स्थान दिया। यहां तक कि देवों के देव महादेव ने भी स्वयं को गुरु दत्तात्रेय का शिष्य माना। इससे यह स्पष्ट होता है कि ईश्वर भी गुरु के बिना अधूरे हैं।
इस दिन किए जाने वाले शुभ कार्य:
- ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें
- अपने गुरु अथवा घर में रखे गुरु की प्रतिमा का पूजन करें
- फल, फूल, पंचामृत और वस्त्र अर्पित करें
- गुरु मंत्र का जप करें, सत्संग करें, दान करें
- विद्यार्थियों को इस दिन विद्या आरंभ करना शुभ होता है
गुरु का महत्व: भगवान भी जिनके शिष्य बने
गुरु केवल शिक्षक नहीं, आत्मज्ञान और मोक्ष तक की राह के पथप्रदर्शक होते हैं. इस दिन भगवान राम, श्रीकृष्ण, हनुमान और दत्तात्रेय जैसे देवताओं की भी गुरुओं के प्रति भक्ति को स्मरण किया जाता है-
- श्रीराम: ऋषि वशिष्ठ और विश्वामित्र से ज्ञान प्राप्त किया
- श्रीकृष्ण: गुरु सांदीपनि के शिष्य बने
- हनुमान जी: सूर्य देव को गुरु बनाया
- भगवान दत्तात्रेय: 24 जीवों को गुरु माना
- वेदव्यास जी: वेदों के संपादक, 18 पुराणों और महाभारत के रचयिता
घर में पूजा विधि
- प्रातः स्नान करके सूर्य को जल अर्पित करें
- घर के मंदिर में दीप जलाकर वेदव्यास जी का स्मरण करें
- वेद, भागवत, महाभारत आदि ग्रंथों के अंशों का पाठ करें
गुरु पूजन विधि
- गुरु को ऊंचे आसन पर बैठाएं
- हार, चंदन, अक्षत, फल-मिठाई अर्पित करें
- चरण पादुका की पूजा करें (यदि गुरु सशरीर न हों)
- गुरु दक्षिणा और उपहार दें (सामर्थ्य अनुसार)
- गुरु उपदेशों को जीवन में उतारने का संकल्प लें