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GST 2.0: सिगरेट का कश लगाना जेब पर पड़ेगा भारी, इन चीजों के इस्तेमाल पर अब खर्च करने होंगे ज्यादा पैसे

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केंद्रीय सरकार ने जीएसटी 2.0 (GST 2.0) के तहत कई वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाने का फैसला लिया है, जिसका सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ेगा। इस नई नीति के तहत सिगरेट, तंबाकू और गुटखा जैसे उत्पादों पर अतिरिक्त टैक्स लगाया गया है, जिससे अब इनका इस्तेमाल करना पहले से महंगा हो जाएगा। सरकार का यह कदम न केवल राजस्व बढ़ाने के लिए है, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए लोगों को इन हानिकारक उत्पादों से दूर रखने के उद्देश्य से भी उठाया गया है।

क्या है जीएसटी 2.0?

जीएसटी 2.0 एक नया और संशोधित कर ढांचा है, जिसे सरकार ने मौजूदा जीएसटी प्रणाली में सुधार लाने के लिए पेश किया है। इस नई व्यवस्था में, कुछ वस्तुओं पर टैक्स की दरों को बढ़ाया गया है, जबकि कुछ अन्य आवश्यक वस्तुओं पर टैक्स कम किया जा सकता है। इसका मुख्य उद्देश्य आर्थिक असमानता को कम करना और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना है।

किन-किन चीजों पर बढ़ेगा टैक्स?

सिगरेट, गुटखा और तंबाकू के अलावा, जीएसटी 2.0 के तहत कुछ अन्य विलासिता और गैर-जरूरी वस्तुओं पर भी टैक्स बढ़ाया गया है। इनमें विदेशी शराब, प्रीमियम कारें और लग्जरी इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं। सरकार का मानना है कि इन वस्तुओं पर टैक्स बढ़ाने से समाज के संपन्न वर्ग पर अधिक बोझ पड़ेगा और इसका उपयोग जन कल्याणकारी योजनाओं के लिए किया जाएगा।

आम जनता पर क्या होगा असर?

इस नई कर व्यवस्था का सबसे बड़ा प्रभाव उन लोगों पर पड़ेगा जो सिगरेट और तंबाकू का नियमित सेवन करते हैं। सिगरेट के प्रत्येक पैकेट पर अब अतिरिक्त टैक्स लगने से इसकी कीमत में काफी वृद्धि होगी, जिससे धूम्रपान करने वालों को अपनी आदत पर अधिक खर्च करना पड़ेगा। सरकार का मानना है कि यह मूल्य वृद्धि लोगों को धूम्रपान छोड़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार होगा।

सरकार की मंशा

जीएसटी 2.0 के माध्यम से सरकार दोहरे उद्देश्य को पूरा करना चाहती है। पहला, राजस्व में वृद्धि करना ताकि आर्थिक विकास को गति दी जा सके। दूसरा, हानिकारक और गैर-आवश्यक वस्तुओं की खपत को हतोत्साहित करना। सिगरेट और तंबाकू उत्पादों पर अतिरिक्त टैक्स लगाना एक ऐसा ही कदम है, जो स्वास्थ्य सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

कंपनसेशन सेस को किया जा रहा खत्म 

वित्त मंत्रालय ने कहा, “चूंकि कंपनसेशन सेस को समाप्त करने का फैसला लिया गया है इसलिए अब इसे जीएसटी में मिला दिया जा रहा है ताकि टैक्स का असर अधिकतर वस्तुओं पर बना रहे.” बता दें कि कंपनसेशन सेस एक तरह का टैक्स होता है, जो लग्जरी और सिन आइटम्स पर लगाए जाते हैं. इसे 2017 में इसलिए शुरू किया गया था ताकि जब जीएसटी सिस्टम लागू होगा, तब राज्यों के रेवेन्यू को नुकसान पहुंचेगा।

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