पाकिस्तानी आतंकियों के ऊपर भारत का ऑपरेशन सिंदूर हो या फिर रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध, इन सभी में आत्मघाती ड्रोन का खूब इस्तेमाल हुआ है. जब तक ये दो युद्ध दुनिया के सामने नहीं आए थे, तब तक आम लोग शायद ही सोचते थे कि ड्रोन एक तरीके से हथियार के तौर पर यूज किया जा सकता है, लेकिन तकनीक के बदलते दौर में ड्रोन से हमले किए जा रहे हैं. वहीं इस सबके बीच अब डिफेंस सेक्टर में काम करने वाली कंपनी एक कदम आगे बढ़कर कॉकरोच और मानव रहित AI बेस्ड हथियारों को इंवेंट करने में लगे हुए हैं, जिसके बारे में हम आपको यहां विस्तार से बता रहे हैं।
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते यूरोप की सुरक्षा को लेकर नई सोच ने जन्म लिया है। अब जर्मनी ने एक ऐसा हाईटेक प्लान बनाया है, जो साइंस फिक्शन फिल्मों जैसा लगता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ड्रोन टेक्नोलॉजी के आगे बढ़ते हुए अब जर्मन मिलिट्री “बायो-रोबोटिक कॉकरोच” जैसे हथियारों पर काम कर रही है, जो युद्ध के मैदान में बेहद गुप्त और प्रभावशाली भूमिका निभा सकते हैं। ये असली कॉकरोच नहीं बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और माइक्रोचिप से लैस अत्यंत छोटे रोबोट होंगे, जिन्हें सीक्रेट मिशन में भेजा जा सकेगा।
क्या है बायो-रोबोटिक कॉकरोच?
- ये कॉकरोच दिखने में बिल्कुल असली की तरह होंगे
- दुश्मन की गतिविधियों की जासूसी कर सकते हैं
- माइक्रो कैमरा और साउंड सेंसर से लैस होंगे
- दीवारों, जमीन के नीचे या इमारतों की दरारों से अंदर घुस सकते हैं
क्यों उठाया गया ये कदम?
रूस-यूक्रेन युद्ध से यह स्पष्ट हो गया है कि भविष्य के युद्ध पारंपरिक नहीं, बल्कि तकनीक आधारित होंगे। यूरोपीय देश अब अमेरिका और NATO पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहते, इसलिए अपनी खुद की एडवांस टेक्नोलॉजी तैयार कर रहे हैं।
क्या होंगे इसके संभावित उपयोग?
- जासूसी और निगरानी मिशन
- बंद कमरों या सुरंगों में दुश्मन की मौजूदगी की जांच
- रेडियोएक्टिव या विषैले क्षेत्रों में जानकारी जुटाना
- कमांडो ऑपरेशंस में मदद
डर और विवाद भी
हालांकि इस तकनीक को लेकर कुछ मानवाधिकार संगठनों ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि जासूसी की यह तकनीक आम लोगों की प्राइवेसी के लिए खतरा बन सकती है और युद्ध के मानवीय पहलुओं को खत्म कर सकती है।
जर्मनी बना रहा है ये खतरनाक हथियार
जर्मन सरकार ने देश के सैन्य स्टार्टअप को फंडिंग करना शुरू कर दिया है, जिसका नतीजा है कि जर्मनी अब जासूसी करने वाले कॉकरोच, मानव रहित पनडुब्बी और AI बेस्ड टैंक का निर्माण जोरशोर से कर रहा है. साइबर इनोवेशन हब के हेड स्वेन वीज़ेनेगर ने कहा कि यूक्रेन युद्ध के बाद रक्षा क्षेत्र में काम करने को लेकर समाज में जो हिचक थी, वह खत्म हो रही है. अब लोग बड़ी तादाद में रक्षा टेक्नोलॉजी के आइडिया लेकर आ रहे हैं.
Swarm Biotactics नाम की कंपनी साइबोर्ग कॉकरोच बना रही है. यानी असली तिलचट्टों को छोटे बैकपैक पहनाकर उन पर कैमरे लगाए जा रहे हैं ताकि वे दुश्मन के इलाके में जाकर डेटा इकट्ठा कर सकें. इनके मूवमेंट को इलेक्ट्रिक सिग्नल से कंट्रोल किया जा सकता है।