गणेश चतुर्थी 2025 का त्योहार इस साल 27 अगस्त को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन श्रद्धालु भगवान गणेश की प्रतिमा को अपने घर लाकर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। परंपरागत रूप से बाजारों में अलग-अलग डिज़ाइन और साइज की मूर्तियां उपलब्ध होती हैं, लेकिन आजकल पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इको-फ्रेंडली गणपति बनाने का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है।
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, लंबोदर, विनायक और कई नामों से पुकारा जाता है। गणेश चतुर्थी इस साल 27 अगस्त को मनाई जा रही है। भक्त गणपति जी की प्रतिमा को घर लाते हैं. लोग 5, 7, 9 या 10 दिनों तक भगवान की सेवा करते हैं। उन्हें तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन और मिठाइयों को भोग लगाते हैं। विधि विधान से पूजा और आरती करते हैं। सार्वजनिक जगहों या पंडाल में बहुत ही भव्य तरीके भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि घर पर मिट्टी, गोबर, या फिर शुद्ध प्राकृतिक रंगों से बनी प्रतिमाएं पर्यावरण के लिए सुरक्षित होती हैं और आसानी से जल में विसर्जित भी हो जाती हैं। इससे नदियों और तालाबों को प्रदूषण से बचाया जा सकता है।
घर पर ऐसे बनाएं इको-फ्रेंडली गणपति
- मिट्टी का प्रयोग करें – स्थानीय कुम्हार से साधारण मिट्टी लेकर गणेश जी की प्रतिमा तैयार करें।
- बीज गणपति – आजकल बीज वाले गणपति भी बनाए जाते हैं। इन्हें विसर्जन के बाद पौधे के रूप में उगाया जा सकता है।
- प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करें – मूर्ति को सजाने के लिए हल्दी, चंदन और फूलों से बने रंगों का प्रयोग करें।
- सरल आकार की मूर्ति – प्रतिमा को छोटा और हल्का बनाएं, ताकि विसर्जन में आसानी हो।
भक्तों के लिए संदेश
गणेश चतुर्थी सिर्फ भक्ति का नहीं, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा का भी पर्व है। ऐसे में यदि आप बप्पा को घर ला रहे हैं तो कोशिश करें कि इको-फ्रेंडली मूर्ति अपनाएं। इससे त्योहार की पवित्रता बनी रहेगी और प्रकृति पर भी कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा।