उत्तर प्रदेश में आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बिजली दरों में 15% से 30% तक की संभावित वृद्धि की खबरों ने उपभोक्ताओं के बीच चिंता बढ़ा दी है। बिजली कंपनियों द्वारा दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) में 11,000 करोड़ रुपये से अधिक के घाटे का हवाला देते हुए यह वृद्धि प्रस्तावित की गई है।
इस प्रस्तावित वृद्धि के खिलाफ नगीना से सांसद और आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के नेता चंद्रशेखर आज़ाद ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने योगी सरकार से चार महत्वपूर्ण सवाल पूछे हैं, जिनमें प्रमुख रूप से यह पूछा गया है कि जब बिजली कंपनियों के पास उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपये का सरप्लस पैसा है, तो फिर नया फ्यूल सरचार्ज क्यों लगाया जा रहा है। उन्होंने इसे जनता को लूटने का नया तरीका बताया है और कहा है कि यह गरीब और मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं पर अन्याय है।
चंद्रशेखर आज़ाद ने यह भी आरोप लगाया है कि नगीना क्षेत्र में ईद-उल-अजहा के अवसर पर बिजली की कटौती बदले की भावना से की गई थी। उन्होंने कहा कि नगीना की जनता ने भाजपा को भी लगभग 3 लाख वोट दिए हैं, फिर भी उन्हें बिजली की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो वे जिलाधिकारी कार्यालय पर अनिश्चितकालीन धरना देंगे।
हालांकि, योगी सरकार ने हाल ही में घोषणा की थी कि प्रदेश में लगातार पांचवें वर्ष बिजली दरों में कोई वृद्धि नहीं की जाएगी। सरकार ने 17,511 करोड़ रुपये की सब्सिडी की घोषणा की है और विद्युत नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों के टैरिफ बढ़ाने के सभी प्रस्तावों को खारिज कर दिया है।
इसके बावजूद, फ्यूल सरचार्ज और संभावित टैरिफ वृद्धि की खबरों ने उपभोक्ताओं में असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। अब देखना होगा कि सरकार और बिजली कंपनियां इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती हैं और जनता को राहत देने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।