केंद्र सरकार ने दिव्यांगजनों के हित में एक बड़ा और सराहनीय फैसला लिया है। अब सरकारी आवासों के आवंटन में दिव्यांगजनों को 4 फीसदी आरक्षण मिलेगा। इस फैसले से देशभर में लाखों दिव्यांगजनों को राहत मिलेगी जो सरकारी घरों के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे थे।
गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत बनाए जा रहे सरकारी आवासों में दिव्यांग व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जाएगी। यह आरक्षण सभी श्रेणियों के आवासों – जैसे कि ईडब्ल्यूएस (EWS), एलआईजी (LIG), और एमआईजी (MIG) – में लागू होगा।
दिव्यांगों के सशक्तिकरण की दिशा में अहम कदम
इस फैसले को सामाजिक समावेशन (Social Inclusion) की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। सरकार का कहना है कि दिव्यांगजनों को भी समाज की मुख्यधारा में समान अवसर मिलना चाहिए, और यह आरक्षण उसी प्रयास का हिस्सा है।
केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्रालय ने इस संदर्भ में संबंधित विभागों को निर्देश जारी कर दिए हैं कि सभी योजनाओं में 4 प्रतिशत यूनिट्स दिव्यांगजनों के लिए आरक्षित की जाएं।
PM Modi के ‘समावेशी भारत’ विज़न की झलक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले भी कई बार “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” का नारा दोहराया है। दिव्यांगों के लिए सरकारी घरों में आरक्षण की यह नीति उसी विज़न को जमीन पर उतारने की दिशा में एक ठोस प्रयास मानी जा रही है।
दिव्यांग समुदाय की प्रतिक्रिया
दिव्यांगजनों के हक में इस निर्णय की चौतरफा सराहना हो रही है। कई सामाजिक संगठनों और एक्टिविस्ट्स ने इसे ऐतिहासिक फैसला बताया है। उनका मानना है कि इससे न केवल दिव्यांगों को सिर छुपाने के लिए एक सुरक्षित छत मिलेगी, बल्कि उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा और आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी।
दिव्यांगजनों को सरकारी आवासों में 4% आरक्षण देने का केंद्र सरकार का फैसला स्वागतयोग्य और प्रेरणादायक है। यह न सिर्फ दिव्यांगों के जीवन स्तर को सुधारने की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि देश को समावेशी और समानतामूलक समाज की ओर भी अग्रसर करता है।