पटना हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि तलाक के बाद भी पत्नी भरण-पोषण की हकदार हो सकती है। यह फैसला रूही शर्मा बनाम उनके पति मामले में सुनाया गया, जिसमें कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश पर आपत्ति जताते हुए कहा कि बिना आय का मूल्यांकन किए भरण-पोषण की राशि तय करना उचित नहीं है।
क्या कहा कोर्ट ने?
न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की एकल पीठ ने कहा: “केवल तलाक हो जाना इस बात को खत्म नहीं करता कि महिला को भरण-पोषण की जरूरत नहीं है। यदि वह आय रहित है और पति सक्षम है, तो उसे भरण-पोषण देना होगा।”
5 साल से रह रहे थे अलग
रूही शर्मा और उनके पति पिछले 5 वर्षों से अलग रह रहे थे और इसी आधार पर फैमिली कोर्ट ने माना कि वैवाहिक संबंध समाप्त हो चुका है। लेकिन हाई कोर्ट ने इस आधार को भरण-पोषण न देने का कारण मानने से इनकार कर दिया।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- तलाक के बाद भी महिला धारा 125 CrPC के तहत भरण-पोषण की मांग कर सकती है।
- पति की आय और महिला की ज़रूरतों का मूल्यांकन जरूरी है।
- फैमिली कोर्ट को बिना तथ्यों की जांच किए भरण-पोषण तय नहीं करना चाहिए।
- यह फैसला महिलाओं के आर्थिक अधिकारों की संविधानिक सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
महिला अधिकारों की दिशा में कदम
इस निर्णय को महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक मजबूत संदेश माना जा रहा है। कोर्ट ने साफ किया कि विवाह के अंत के साथ महिला की जरूरतें खत्म नहीं हो जातीं।