डायबिटीज (मधुमेह) आज के समय की एक आम लेकिन बेहद खतरनाक बीमारी बन चुकी है। यदि समय रहते इसका इलाज और नियंत्रण न किया जाए, तो यह गंभीर रूप ले सकती है। कई मामलों में यह इतनी बढ़ जाती है कि मरीजों के पैर काटने (अंप्यूटेशन) तक की नौबत आ जाती है। लेकिन आखिर ऐसा क्यों होता है? और कब डायबिटीज खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती है? आइए समझते हैं।
क्यों कटवाने पड़ते हैं पैर?
डायबिटीज से पीड़ित मरीजों में ब्लड शुगर लेवल अधिक समय तक बढ़ा रहने से नर्व डैमेज (Neuropathy) और ब्लड सर्कुलेशन की समस्या हो जाती है। इसके चलते पैरों में चोट या घाव भरने में समय लगता है, और संक्रमण (Infection) फैल सकता है। यदि समय रहते उपचार न मिले तो यह संक्रमण हड्डियों तक पहुंच सकता है, जिससे पैर काटना ही एकमात्र विकल्प रह जाता है।
खतरे की घंटी: कब सतर्क हो जाएं?
- पैरों में सुन्नपन या झनझनाहट
- छोटे घाव या छाले जो लंबे समय तक न भरें
- पैर की त्वचा का काला पड़ना
- घाव से बदबू आना
- चलने में तकलीफ या दर्द
अगर ये लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
बचाव कैसे करें?
- ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित रखें
- रोजाना पैरों की जांच करें
- सही जूते पहनें, पैरों को चोट से बचाएं
- किसी भी घाव को नजरअंदाज न करें
- नियमित रूप से डॉक्टर से चेकअप कराएं
डायबिटीज को हल्के में लेना खतरनाक हो सकता है। जागरूकता और समय पर देखभाल से इस बीमारी से होने वाली गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है। पैरों की नियमित देखभाल और ब्लड शुगर पर नियंत्रण ही सबसे बड़ा बचाव है।