दिल्ली के रोहिणी सेक्टर-27 में उस समय हंगामा हो गया जब डॉग लवर्स ने आवारा कुत्तों के लिए बनाए गए नसबंदी केंद्र एवं अस्पताल के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि उन्हें सूचना मिली थी कि इस केंद्र में कुत्तों को मारा जा रहा है और उनकी लाशें परिसर में पड़ी हैं।
डॉग लवर्स का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कुत्तों को छोड़ा नहीं जा रहा है. उनका आरोप था कि केंद्र में 200 से ज्यादा कुत्ते होने चाहिए थे. लेकिन वहां महज़ 110 से कुछ ज्यादा कुत्ते मिले और उनकी हालत भी संतोषजनक नहीं थी. भीड़ बढ़ने पर मौके पर बड़ी संख्या में दिल्ली पुलिस तैनात कर दी गई.
यह मैसेज सोशल मीडिया पर काफी तेजी से फैल गया. रात 11 बजते ही सेंटर के बाहर लोगों की भीड़ जमा होने लगी. लोग सेंटर के अंदर जाने की जिद करने लगे, जिसके बाद मौके पर पुलिस फोर्स बुलाई गई. पुलिस ने लोगों को समझाया और फिर 5 लोगों का ग्रुप अंदर पुलिस के साथ सेंटर में गया,जहां उन्होंने देखा की अंदर कोई कुत्ता मरा हुआ नहीं था. लेकिन सेंटर के हालात ठीक नहीं थे.
इस खबर के फैलते ही बड़ी संख्या में डॉग लवर्स मौके पर इकट्ठा हो गए और उन्होंने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि पूरे मामले की जांच की जाए और अगर यहां कुत्तों की हत्या हुई है तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। वहीं, पुलिस का कहना है कि स्थिति को काबू में लाने की कोशिश की जा रही है और पूरे मामले की जांच की जाएगी। इस घटना के बाद इलाके में तनाव का माहौल बना हुआ है।
बीते शुक्रवार के दिन अदालत ने आवारा कुत्तों के मामले में अहम फैसला सुनाया. अदालत ने स्पष्ट किया कि दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में आवारा कुत्तों के प्रबंधन के संबंध में 11 अगस्त के अपने पहले के आदेश को संशोधित करते हुए निर्देश दिया कि जानवरों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद उसी क्षेत्र में वापस छोड़ दिया जाएगा. रेबीज से संक्रमित या आक्रामक व्यवहार वाले आवारा कुत्तों को वापस नहीं छोड़ा जाएगा और उन्हें अलग रखा जाएगा. अदालत के आदेश में कहा गया है कि रेबीज से संक्रमित या आक्रामक व्यवहार वाले कुत्तों को छोड़कर, आवारा कुत्तों को नसबंदी और टीकाकरण के बाद उसी क्षेत्र में वापस छोड़ दिया जाएगा.
एनजीओ और पशु प्रेमियों का आरोप
विभिन्न एनजीओ और पशु अधिकार कार्यकर्ता केंद्र के अंदर घुसकर निरीक्षण करना चाहते थे. उनका कहना था कि कुत्तों को सही देखभाल नहीं मिल रही और उनकी नसबंदी-टीकाकरण के नाम पर अत्याचार हो रहा है. प्रदर्शनकारियों ने साफ कहा कि जब तक कुत्तों को रिहा नहीं किया जाएगा, उनका प्रदर्शन क्रमबद्ध तरीके से जारी रहेगा.