भारत में नदियों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है। गंगा, यमुना और गोदावरी जैसी नदियों को जीवनदायिनी माना जाता है और इनकी पूजा की जाती है। लेकिन कुछ नदियां ऐसी भी हैं, जिनके नाम से ही लोग डर जाते हैं। इन्हीं में से एक है चंबल नदी, जिसे भारत की सबसे श्रापित नदी माना जाता है।
मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से होकर बहने वाली चंबल नदी ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं से जुड़ी है। मान्यता है कि महाभारत काल में द्रौपदी का चीरहरण इसी क्षेत्र में हुआ था। जब कौरवों ने द्रौपदी का अपमान किया, तो उन्होंने शाप दिया था कि यह भूमि हमेशा कलंकित रहेगी। माना जाता है कि उसी श्राप की वजह से चंबल नदी को अशुभ और डरावना माना जाता है।
चंबल नदी के श्रापित होने के पीछे महाभारत काल से जुड़ी एक कथा छिपी है, जो इसे गंगा-यमुना से अलग बनाती है. ऐसा माना जाता है कि एक समय यहां के राजा रति देव ने चंबल नदी के किनारे सैकड़ों जानवरों की बलि दे दी थी.
ऐसी मान्यता है कि इन जानवरों की बलि से निकला खून नदी में जाकर मिल गया और पूरी नदी खून से लाल हो गई थी. तभी से इसे श्रापित माना जाने लगा. कहते हैं कि इस नदी में नहाने से जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
स्थानीय लोगों का मानना है कि इस नदी का पानी छूने से भी दुर्भाग्य हो सकता है। यही कारण है कि आज भी कई ग्रामीण लोग इस नदी के पानी का इस्तेमाल नहीं करते। हालांकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें, तो चंबल नदी का पानी प्रदूषण रहित और साफ माना जाता है।
इतिहास गवाह है कि चंबल के बीहड़ कभी डकैतों की शरणस्थली रहे हैं, जिससे यह क्षेत्र और भी रहस्यमय और डरावना बन गया। यही कारण है कि चंबल नदी आज भी भारत की श्रापित नदियों में गिनी जाती है।
धार्मिक मान्यता है कि द्रौपदी के इसी श्राप के कारण लोग चंबल नदी के पानी को पीने और इसमें नहाने से बचते हैं. साथ ही, श्रापित होने की वजह से चंबल नदी की पूजा भी नहीं की जाती है. कुछ मान्यताओं में इसे भूतिया नदी भी कहते हैं.