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Child Mobile Addiction: छोटे बच्चों को फोन दिखाने से हो सकती हैं गंभीर परेशानियां, कही आप तो नही कर रहें यें गलतियां..

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आज के डिजिटल युग में छोटे बच्चों को चुप कराने या व्यस्त रखने के लिए मोबाइल फोन या टैबलेट देना आम बात हो गई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आदत बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर गहरा नकारात्मक असर डाल सकती है? हाल ही में बाल रोग विशेषज्ञों और मनोवैज्ञानिकों ने इस ट्रेंड को लेकर गंभीर चेतावनी दी है।

फोन दिखाना आसान विकल्प, लेकिन परिणाम खतरनाक

अक्सर देखा जाता है कि माता-पिता बच्चों को खाना खिलाने, शांत करने या व्यस्त रखने के लिए मोबाइल पर कार्टून या गेम्स दिखा देते हैं। शुरू में यह आसान समाधान लगता है, लेकिन लंबे समय तक यह आदत कई समस्याओं को जन्म दे सकती है।

बच्चों को मोबाइल दिखाने से हो सकती हैं ये समस्याएं:

  1. भाषा और बोलने में देरी:
    मोबाइल की लगातार स्क्रीनिंग से बच्चा कम बातचीत करता है, जिससे उसके बोलने और समझने की क्षमता धीमी हो जाती है।
  2. आंखों की रोशनी पर असर:
    बहुत नजदीक से स्क्रीन देखने से आंखों पर दबाव पड़ता है और छोटी उम्र में ही चश्मा लगने की नौबत आ सकती है।
  3. मस्तिष्क विकास में बाधा:
    अत्यधिक स्क्रीन टाइम से दिमाग पर उत्तेजना बढ़ती है जिससे बच्चा वास्तविक जीवन की चीज़ों में ध्यान नहीं लगा पाता।
  4. नींद में खलल:
    स्क्रीन से निकलने वाली ब्लू लाइट बच्चे की नींद को प्रभावित करती है, जिससे वह चिड़चिड़ा और थका हुआ महसूस करता है।
  5. व्यवहार में बदलाव:
    स्क्रीन से जुड़ा बच्चा कई बार आक्रामक, जिद्दी और सामाजिक रूप से अलग-थलग हो सकता है।
  6. शारीरिक गतिविधियों की कमी:
    बाहर खेलने या शारीरिक गतिविधियों की जगह स्क्रीन देखने से मोटापा और शारीरिक कमजोरी हो सकती है।

AIIMS और ICMR से जुड़े बाल विकास विशेषज्ञों का कहना है कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों को बिलकुल भी स्क्रीन नहीं दिखानी चाहिए, और 2 से 5 साल के बच्चों के लिए अधिकतम 1 घंटे की स्क्रीन टाइम ही सुरक्षित है — वो भी अभिभावकों की निगरानी में।

क्या करें अभिभावक?

  • बच्चों को कहानियां सुनाएं
  • खिलौनों से खेलने के लिए प्रोत्साहित करें
  • ओपन एंडेड गेम्स (जैसे ब्लॉक्स, पजल्स) दें
  • घर में स्क्रीन-फ्री ज़ोन बनाएं
  • खुद भी स्क्रीन का संतुलित उपयोग करें (बच्चे अनुकरण करते हैं)

मोबाइल फोन बच्चों को कुछ समय के लिए शांत जरूर कर सकता है, लेकिन इसका लंबे समय तक इस्तेमाल उनके विकास के लिए हानिकारक हो सकता है। अभिभावकों को सतर्क रहकर डिजिटल समय को सीमित करना चाहिए और बच्चों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताना चाहिए।

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