आजकल के बच्चों में आखों की समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही है। छोटे-छोटे बच्चों को आखों पर चश्में लग रहें है। ऐसा सिर्फ एक बच्चे के साथ नही बल्कि 90% बच्चों के साथ ऐसा ही हो रहा है। ऐसा एक नई बीमारी के कारण हो रहा है। जिसका मान है मायोपिया।
बच्चों में मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनती जा रही है। हालिया अध्ययनों के मुताबिक, भारत में 5 से 15 वर्ष के बच्चों में मायोपिया के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। 1999 में जहां यह दर 4.44% थी, वहीं 2019 में यह 21.5% तक पहुंच गई और अनुमान है कि 2050 तक यह करीब 48% तक पहुंच सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 महामारी के दौरान बढ़ा हुआ स्क्रीन टाइम इस समस्या का बड़ा कारण बना। लंबे समय तक मोबाइल, लैपटॉप और टीवी देखने से बच्चों की आंखों पर नकारात्मक असर पड़ता है।
डॉक्टर्स का सुझाव है कि माता-पिता समय पर बच्चों की आंखों की जांच करवाएं और उन्हें बाहरी गतिविधियों व खेलों में अधिक समय बिताने के लिए प्रोत्साहित करें। इसके अलावा 20-20-20 नियम का पालन करना बेहद जरूरी है—यानी हर 20 मिनट पर 20 फीट दूर किसी वस्तु को 20 सेकंड तक देखें। यह आदत आंखों पर पड़ने वाले दबाव को कम करती है और मायोपिया से बचाव में मदद करती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि शुरुआती सतर्कता और जीवनशैली में बदलाव से बच्चों को निकट दृष्टि दोष से काफी हद तक बचाया जा सकता है।