बिहार की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। जैसे-जैसे 2025 के विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, नए-नए राजनीतिक समीकरण बनने और बिगड़ने लगे हैं। इस बार चर्चा में हैं हैदराबाद से सांसद और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, जिनकी पार्टी सीमांचल क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखती है। राजनीतिक गलियारों में अब ये सवाल गूंज रहा है—क्या ओवैसी भाजपा को हराने के लिए महागठबंधन से हाथ मिलाएंगे?
AIMIM-RJD नेताओं में बातचीत की खबरें
सूत्रों के अनुसार, AIMIM के कई वरिष्ठ नेता राजद (RJD) नेताओं के संपर्क में हैं। चर्चा यह भी है कि महागठबंधन में शामिल होने को लेकर प्रारंभिक बातचीत शुरू हो चुकी है। हालांकि इस पर अभी कोई आधिकारिक मुहर नहीं लगी है, लेकिन अंदरखाने गहमागहमी जरूर तेज हो गई है।
सीमांचल की अहम भूमिका
AIMIM ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में सीमांचल क्षेत्र की 5 सीटों पर जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया था। हालांकि बाद में चार विधायक RJD में शामिल हो गए, लेकिन पार्टी की पकड़ सीमांचल में अब भी बनी हुई है। इस बार ओवैसी की पार्टी राज्य में 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है, जिससे अन्य दलों की रणनीति प्रभावित हो सकती है।
क्यों AIMIM चाहती है महागठबंधन में शामिल होना?
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो AIMIM को यह महसूस हो रहा है कि अकेले चुनाव लड़ने पर मुस्लिम वोटों का विभाजन भाजपा को फायदा पहुंचा सकता है। अगर AIMIM महागठबंधन का हिस्सा बनती है, तो मुस्लिम वोट बैंक को एकजुट करना और भाजपा को मात देना संभव हो सकता है।
क्या तेजस्वी होंगे सीएम चेहरा?
महागठबंधन ने पहले ही तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या AIMIM तेजस्वी को समर्थन देगी? यदि ऐसा होता है, तो यह गठबंधन भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है।