देशभर में सोमवार को ‘भारत बंद’ का असर दिख सकता है। करीब 25 करोड़ कामगार और कर्मचारी बैंकिंग, बीमा, कोयला, परिवहन, पोस्ट ऑफिस, टेलीकॉम और अन्य क्षेत्रों से हड़ताल में शामिल हो सकते हैं। इस बंद का आह्वान देश की 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने मिलकर किया है। इसका असर आम जनजीवन से लेकर अर्थव्यवस्था तक पर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने इसे ‘भारत बंद’ का नाम दिया है। यूनियनों का कहना है कि सरकार ने मजदूरों की मांगों को नजरअंदाज किया और कॉरपोरेट हितों को बढ़ावा दिया। इस हड़ताल की तैयारी महीनों से चल रही है। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) की अमरजीत कौर ने न्यूज एजेंसी PTI को बताया, “25 करोड़ से ज़्यादा मजदूर इस हड़ताल में शामिल होंगे। किसान और ग्रामीण मजदूर भी देशभर में विरोध में उतरेंगे।”
हड़ताल का कारण क्या है?
- श्रमिकों की मूलभूत मांगों की अनदेखी कर रही है
- नई श्रम संहिताएं (Labour Codes) लागू कर मजदूरों के अधिकारों को कमजोर कर रही है
- कॉरपोरेट्स के हितों को मज़बूती दे रही है, जबकि मजदूरों की सुरक्षा में कटौती की जा रही है
यूनियनों का कहना है कि इन श्रम संहिताओं के लागू होने से सामूहिक सौदेबाजी, न्यूनतम वेतन, और सुरक्षा जैसे अधिकार प्रभावित होंगे।
क्या-क्या रहेगा बंद?
- बैंकिंग सेवाएं: PSU बैंकों में कार्यरत अधिकांश कर्मचारी हड़ताल में शामिल होंगे, जिससे बैंकिंग सेवाओं पर असर पड़ेगा।
- पोस्ट ऑफिस: ग्रामीण डाक सेवक और कुछ शहरी यूनियनें भी हड़ताल में हैं।
- कोयला और खनन क्षेत्र: कोल इंडिया और उससे जुड़े संगठनों के कर्मचारी शामिल।
- ट्रांसपोर्ट: कुछ राज्यों में बस, ट्राम और लोकल सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
- गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स: OPD सेवाएं कुछ जगहों पर बाधित हो सकती हैं।
क्या खुले रहेंगे?
- स्कूल-कॉलेज: राज्य सरकारों के निर्देश पर निर्भर
- प्राइवेट दुकानें और मॉल्स: अधिकतर खुले रहेंगे
- प्राइवेट कंपनियां: सामान्य रूप से कार्यरत रहेंगी
- शेयर बाजार: फिलहाल BSE और NSE में ट्रेडिंग चालू रहने की संभावना है
- आपातकालीन सेवाएं: अस्पतालों की इमरजेंसी सेवाएं चालू रहेंगी
कौन-कौन सी यूनियनें हैं शामिल?
- INTUC (कांग्रेस से जुड़ी)
- AITUC (सीपीआई)
- CITU (सीपीएम)
- HMS, AIUTUC, TUCC, SEWA, और अन्य संगठन
इन यूनियनों को कई कृषि संगठनों और छात्र संगठनों का भी समर्थन प्राप्त है।
यह भारत बंद सिर्फ एक दिन की हड़ताल नहीं, बल्कि श्रमिक अधिकारों की लड़ाई का प्रतीक है। यदि सरकार और यूनियनों के बीच संवाद नहीं होता, तो इसका असर देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिति पर गहरा पड़ सकता है।