ईसाई समुदाय के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का सोमवार सुबह निधन हो गया। यह दुखद खबर ईस्टर संडे के ठीक एक दिन बाद सामने आई, जिससे पूरी दुनिया में शोक की लहर दौड़ गई है। वेटिकन सिटी ने उनके निधन की आधिकारिक पुष्टि करते हुए बताया कि पोप फ्रांसिस ने अंतिम सांस वेटिकन में ही ली।
लंबे समय से चल रहे थे बीमार
88 वर्षीय पोप फ्रांसिस पिछले कुछ महीनों से लगातार स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। हालांकि ईस्टर से पहले उनकी स्थिति में थोड़ी सुधार की खबर आई थी, लेकिन अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें इमरजेंसी मेडिकल केयर में रखा गया था। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
दुनिया भर के नेताओं ने जताया शोक
पोप फ्रांसिस के निधन पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव, अमेरिकी राष्ट्रपति, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, और ब्रिटिश प्रधानमंत्री समेत दुनिया के प्रमुख नेताओं ने गहरा दुख व्यक्त किया है। सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलियों का सैलाब उमड़ पड़ा है। भारत से लेकर ब्राजील और इटली तक चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की जा रही हैं।
शांति और करुणा के प्रतीक थे पोप फ्रांसिस
पोप फ्रांसिस का असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोलियो था। वे 2013 में पोप बेनेडिक्ट XVI के इस्तीफे के बाद पोप बने थे और पहले लैटिन अमेरिकन पोप के रूप में इतिहास में दर्ज हुए। उन्होंने हमेशा शांति, करुणा, जलवायु परिवर्तन, गरीबी, और शरणार्थियों के अधिकारों की आवाज बुलंद की।
कैथोलिक चर्च में शोक की स्थिति, वेटिकन में अंतिम दर्शन की तैयारी
वेटिकन सिटी में सुरक्षा के कड़े इंतज़ामों के बीच लाखों लोग पोप फ्रांसिस के अंतिम दर्शन के लिए जमा हो रहे हैं। जल्द ही उनके अंतिम संस्कार की तारीख और प्रक्रिया की आधिकारिक घोषणा की जाएगी। वेटिकन में 9 दिनों तक मातम और प्रार्थनाएं होंगी, जिसे “नोवेंडा” कहा जाता है।
पोप फ्रांसिस ने अपने जीवन में जो मानवीय संदेश और सद्भाव की शिक्षा दी, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य धरोहर बनकर रहेगी। उनका जाना न सिर्फ कैथोलिक समुदाय, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक अपूरणीय क्षति है।