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War 2 Review: ऋतिक-जूनियर NTR की हाई-ऑक्टेन टक्कर भी नहीं बचा पाई बासी कहानी, YRF की बिग बजट फिल्म रही फीकी

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यशराज फिल्म्स की बहुप्रतीक्षित एक्शन थ्रिलर ‘वॉर 2’ आखिरकार सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म में ऋतिक रोशन और तेलुगु स्टार जूनियर NTR की जोड़ी पहली बार साथ नजर आई, जिससे दर्शकों में काफी उत्साह था। निर्देशन की कमान इस बार अयान मुखर्जी के हाथों में थी, जिन्होंने इसे YRF स्पाई यूनिवर्स का अहम हिस्सा बनाने की कोशिश की।

कहानी

कई साल पहले, भारत का सबसे बेहतरीन एजेंट मेजर कबीर धालीवाल (ऋतिक रोशन) अचानक गायब हो जाता है। अब उसकी वापसी होती है, लेकिन इस बार वो देश के खिलाफ सबसे खतरनाक चाल चल रहा है। उसे रोकने के लिए, सरकार ने अपने सबसे जांबाज ऑफिसर विक्रम (जूनियर एनटीआर) को भेजा है। लेकिन विक्रम का भी एक अतीत है और वो उसके मिशन की तरह सस्पेंस से भरा हुआ है। इस मिशन में विक्रम का साथ काव्या थापर (कियारा आडवाणी) देती है, जिसका मकसद सिर्फ देश को बचाना नहीं, बल्कि कुछ और भी है. आखिर देश पर अपनी जान छिड़कने वाला कबीर अचानक देश का दुश्मन कैसे बन गया? क्या विक्रम और काव्या इस कबीर को रोक पाएंगे? ये जानने के लिए आपको थिएटर में जाकर वॉर 2 देखनी होगी।

जानें कैसी है ये फिल्म

फिल्म में ऋतिक रोशन एक धमाकेदार एक्शन सीन के साथ एंट्री करते हैं. उनका स्वैग और एक्शन देखकर लगता है कि अब मजा आएगा. लेकिन इस शुरुआती धमाके के बाद कहानी की रफ्तार थोड़ी धीमी हो जाती है. वॉर 2 में वही घिसी-पिटी कहानी और अंदाज है, जो हम पहले भी कई जासूसी फिल्मों में देख चुके हैं. ऐसा लगता है, मानो किसी ने पुरानी स्क्रिप्ट्स से कुछ हिस्से काट कर जोड़ दिए हों. आज के दौर में जहां ओटीटी पर वेब सीरीज़ के जरिए हमें भारतीय रॉ और खुफिया एजेंट्स की कहानी को रियलिस्टिक रूप में देखने की आदत हो गई है, वहां ‘वॉर 2’ की कहानी फीकी लगने लगती है.

परफॉर्मेंस:
ऋतिक रोशन अपनी करिश्माई स्क्रीन प्रेज़ेंस और फिटनेस से एक बार फिर दिल जीतते हैं, जबकि जूनियर NTR अपने इंटेंस परफॉर्मेंस से प्रभावित करते हैं। हालांकि, दोनों सितारों के बीच कैमिस्ट्री और इमोशनल कनेक्ट उतना मजबूत नहीं दिखता जितनी उम्मीद थी।

डायरेक्शन

फिल्म का निर्देशन अयान मुखर्जी ने किया है, जिनसे ‘ब्रह्मास्त्र’ जैसी फिल्में बनाने के बाद उम्मीद थी कि वह इस जासूसी यूनिवर्स में कुछ नयापन लाएंगे। उन्होंने फिल्म की शुरुआत तो की, लेकिन उसके बाद कहानी पर से उनकी पकड़ ढीली होती जाती है। उनके निर्देशन में वो नयापन और ताजगी नजर नहीं आती, जिसकी उम्मीद थी। फिल्म में कई जगह ऐसा लगता है, जैसे डायरेक्टर ने सिर्फ ऋतिक और जूनियर एनटीआर के स्टारडम पर भरोसा किया हो, न कि कहानी को मजबूत बनाने पर. अयान ने एक्शन थ्रिलर को बेहतर बनाने की बहुत कोशिश की है, लेकिन वो हताश करते हैं। फिल्म के कई हिस्से इललॉजिकल लगते हैं, तो कहीं जबरन लंबा खींचे हुए महसूस होते हैं।

तकनीकी पक्ष:
एक्शन कोरियोग्राफी, VFX और सिनेमाटोग्राफी फिल्म के बड़े प्लस पॉइंट हैं। लेकिन बैकग्राउंड स्कोर और एडिटिंग में सुधार की गुंजाइश है, खासकर दूसरे हाफ में जहां फिल्म की रफ्तार धीमी हो जाती है। अगर आप एक्शन और स्टार पावर के फैन हैं तो ‘वॉर 2’ आपको विजुअल ट्रीट दे सकती है, लेकिन कहानी के मोर्चे पर यह निराश कर सकती है।

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