क्या आपने कभी “प्लास्टिक बेबी” शब्द सुना है? अगर नहीं, तो अब सावधान हो जाइए। नई रिसर्च के मुताबिक, प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ आदतें और खानपान की गलतियां मां के गर्भ में पल रहे शिशु को माइक्रोप्लास्टिक और टॉक्सिक केमिकल्स के संपर्क में ला सकती हैं। नतीजा? नवजात शिशु का शरीर जन्म से पहले ही प्लास्टिक जैसे हानिकारक तत्वों से भर सकता है, जिसे वैज्ञानिकों ने “प्लास्टिक बेबी” सिंड्रोम कहा है।
क्या है ‘प्लास्टिक बेबी’ का मतलब?
“प्लास्टिक बेबी” शब्द उन नवजात शिशुओं के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है जिनके शरीर में माइक्रोप्लास्टिक्स, BPA, और फथलेट्स जैसे केमिकल्स पाए गए हैं। ये तत्व बच्चे की:
- रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करते हैं
- हार्मोनल बैलेंस बिगाड़ सकते हैं
- भविष्य में मोटापा, डायबिटीज, और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं पैदा कर सकते हैं
प्रेग्नेंसी में की जाने वाली 5 बड़ी गलतियां:
- प्लास्टिक की बोतल या कंटेनर में पानी/खाना रखना
- प्रोसेस्ड फूड और पैकेज्ड स्नैक्स का ज़्यादा सेवन
- सिंगल-यूज़ प्लास्टिक का लगातार संपर्क (जैसे प्लास्टिक चम्मच, कटोरी)
- तेज महक वाले केमिकल युक्त सौंदर्य प्रसाधनों का प्रयोग
- प्लास्टिक पैकिंग में गरम खाना लेना या माइक्रोवेव में गर्म करना
रिसर्च क्या कहती है?
2024 में हुए एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में पाया गया कि गर्भनाल के टिशूज़ में भी माइक्रोप्लास्टिक्स मौजूद हैं। यानी मां जो खा रही है, उसका सीधा असर शिशु की कोशिकाओं तक पहुंच रहा है।
बचने के उपाय:
- स्टील या कांच की बोतल का प्रयोग करें
- ताज़ा और घर का बना खाना खाएं
- ऑर्गेनिक और केमिकल-फ्री प्रोडक्ट्स का उपयोग करें
- पैकेजिंग को पढ़कर समझें कि उसमें BPA-Free लिखा है या नहीं
- डॉक्टर से नियमित परामर्श लें