केरल के कोझिकोड से आने वाली नौजिशा का जीवन प्रतिदिन हिंसा और अपमान से भरा था। वह मानसिक रूप से इतनी टूट चुकी थीं कि उन्होंने अपनी विवाहित जिंदगी से मुक्ति पाने के लिए आत्महत्या का रास्ता तक चुनने का विचार किया। परंतु वर्तमान में वह अनेक महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं।
कोझिकोड, केरल से आने वाली नौजिशा का अतीत दैनिक शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना से भरा था। उनकी विवाहित जीवन इतनी अधिक परेशानियों से घिरी हुई थी कि उन्होंने जीवन समाप्त करने की भी सोची। फिर भी, आज वे 32 वर्ष की आयु में एक प्रेरणादायक पुलिस अधिकारी हैं।
नौजिशा ने कंप्यूटर एप्लीकेशन में मास्टर की डिग्री हासिल की थी और विवाह से पूर्व एक अतिथि व्याख्याता के रूप में कार्यरत थीं। 2013 में उनका विवाह हुआ, जिसके बाद से उनकी ज़िंदगी में कठिनाइयों का दौर शुरू हो गया। वह विवाह के पश्चात भी करियर जारी रखने की इच्छुक थीं, लेकिन विवाह के बाद उनके पति ने उन्हें घर पर रहने के लिए कह दिया।
नौजिशा ने अपने पति के निर्णय का सम्मान किया, लेकिन समय के साथ उन्हें एहसास हुआ कि उनकी शादी उन्हें बंधन में जकड़ रही है। उनके पति ने छोटी-छोटी बातों पर उन्हें प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। इस दौरान, नौजिशा का परिवार उनके साथ खड़ा रहा और उन्हें वापस घर आने की सलाह दी। परंतु, समाज के डर से वह अपने पति के घर में ही रहीं।
1 साल के बेटे को साथ लेकर उठाया बड़ा कदम और बनीं पुलिस ऑफिसर
कई वर्षों की कठिनाइयों के बाद, नौजिशा ने अपनी साहस को खो दिया था और उन्होंने अपने घर के समीप स्थित कुएँ में कूदकर जीवन समाप्त करने की योजना बनाई। मगर, कुएँ के किनारे पर पहुँचने पर उनका मन बदल गया और उन्होंने संघर्ष करने का निश्चय किया।
2016 में, तीन साल तक दुःख सहने के बाद, वह अपने एक साल के बेटे के साथ अपने पति के घर से चली गईं। इस कदम में उनके माता-पिता ने उनका पूर्ण समर्थन किया। तलाक के बाद, नौजिशा ने अपने जीवन को नई दिशा देने का निर्णय लिया और व्याख्याता के रूप में अपने करियर को पुनः आरंभ किया, साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी करती रहीं।
नौजिशा ने केरल पुलिस के विशेष भर्ती अभियान के लिए परीक्षा दी और उसमें सफलता प्राप्त कर सिविल पुलिस बल में शामिल हो गईं। वर्तमान में, वह केरल में एक पुलिस अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएँ दे रही हैं, जिम्मेदारी के साथ समाज की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही हैं।
अपनी दृढ़ता और समर्पण से, नौजिशा न केवल अपने लिए बल्कि देश की अन्य महिलाओं के लिए भी शक्ति और प्रेरणा का प्रतीक बन चुकी हैं।