Homeबिहाइंड स्टोरीकड़ी मेहनत की मिसाल: बिहार के सत्यम ने रचा इतिहास, 13 में IIT और अब टेक एक्सपर्ट

कड़ी मेहनत की मिसाल: बिहार के सत्यम ने रचा इतिहास, 13 में IIT और अब टेक एक्सपर्ट

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कहते हैं कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत सच्ची हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता। बिहार के भोजपुर जिले से आने वाले सत्यम कुमार ने इस कहावत को सच कर दिखाया है। एक किसान परिवार में जन्मे सत्यम ने महज 13 साल की उम्र में IIT-JEE जैसी कठिन परीक्षा पास कर देश के सबसे युवा IITian बनने का गौरव हासिल किया। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

शुरुआत छोटे गांव से, सपना था बड़ा

सत्यम कुमार का जन्म बिहार के भोजपुर जिले के एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। पढ़ाई के प्रति उनके जुनून को देखकर परिवार ने उनका साथ दिया और उन्हें कोटा, राजस्थान भेजा, जहां उन्होंने IIT-JEE की तैयारी की। कड़ी मेहनत, समर्पण और अनुशासन की बदौलत सत्यम ने 13 वर्ष की उम्र में IIT-JEE पास कर इतिहास रच दिया।

IIT कानपुर से उच्च शिक्षा

IIT-JEE पास करने के बाद सत्यम ने IIT कानपुर में प्रवेश लिया, जहां उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में B.Tech और M.Tech की डिग्री एक साथ पूरी की। तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में उनका रुझान उन्हें और ऊँचाइयों तक ले गया।

अमेरिका में रिसर्च का सपना

उच्च शिक्षा के लिए सत्यम ने अमेरिका का रुख किया और University of Texas में PhD के लिए दाखिला लिया। उन्होंने मात्र 24 वर्ष की उम्र में अपनी पीएचडी पूरी कर ली। शोध के दौरान उन्होंने Apple में Machine Learning Intern के रूप में भी कार्य किया, जहां उन्होंने cutting-edge टेक्नोलॉजी पर काम किया।

वर्तमान में क्या कर रहे हैं सत्यम?

फिलहाल सत्यम कुमार University of Texas में Machine Learning Systems Research Engineer और Graduate Research Assistant के रूप में कार्यरत हैं। वे अत्याधुनिक मशीन लर्निंग तकनीकों पर काम कर रहे हैं और तकनीकी दुनिया में अपनी पहचान बना चुके हैं।

सफलता का मंत्र

सत्यम की सफलता का राज़ है – दृढ़ निश्चय, लगातार मेहनत और खुद पर विश्वास। उन्होंने न सिर्फ अपने परिवार का नाम रोशन किया, बल्कि देशभर के लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बन गए हैं।

संदेश युवाओं के लिए

सत्यम कुमार की कहानी यह साबित करती है कि सीमित संसाधनों के बावजूद, अगर मेहनत और समर्पण हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। उनकी यात्रा न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि सपने कितने भी बड़े क्यों न हों, उन्हें साकार किया जा सकता है।

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