Homeबिहाइंड स्टोरीमैं फ्री लाइब्रेरी चलाती हूँ ताकि बच्चों को किताबों और रोटी के बीच न चुनना पड़े 

मैं फ्री लाइब्रेरी चलाती हूँ ताकि बच्चों को किताबों और रोटी के बीच न चुनना पड़े 

Date:

Share post:

स्कूल में लोग मुझे बहुत ज्यादा परेशान करते थे क्योंकि मेरा हावभाव लड़की जैसा था। उस समय मुझे छुपने के लिए एक जगह चाहिए थी और मेरे लिए वह जगह लाइब्रेरी थी।”

बचपन में लाइब्रेरी के पीछे छुपने वाली ऋतूपूर्णा नेओग को किताबों से ऐसा प्यार हुआ कि आज वह गांव-गांव में जाकर फ्री लाइब्रेरी बना रही हैं ताकि शिक्षा के दम पर भेद-भाव को मिटाया जा सके। असम की ऋतूपूर्णा का बचपन किसी आम बच्चे जैसा ही सुखद था लेकिन किशोर अवस्था आते-आते उन्हें अपने लड़कियों जैसे हाव-भाव के लिए स्कूल में कई ताने सुनने पड़ते थे।

यह दौर मुश्किल जरूर था लेकिन शिक्षा की ताकत और उनके माता-पिता के साथ ने उन्हें कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया। वह शिक्षा की ताकत तभी समझ गई थीं, शिक्षा की इस ताकत को हर एक इंसान तक पहुंचाने के लिए उन्होंने गांव में फ्री लाइब्रेरी बनाने का सपना देखा। 

Related articles

गर्मियों का हेल्दी ट्रीट: बच्चों के प्यार की होममेड आम आइसक्रीम

जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, बच्चे ठंडी मीठी चीजों के लिए लंबे समय से तरस रहे हैं। इस...

सबसे कम उम्र में CA बनने वाली नंदिनी अग्रवाल ने रचा इतिहास, गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम

भारत की बेटियां आज हर क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी...

दिलजीत दोसांझ ने मेट गाला 2025 में रचा इतिहास: पंजाबी शाही अंदाज़ से बिखेरा जलवा

पंजाबी सुपरस्टार दिलजीत दोसांझ ने मेट गाला 2025 में अपने पहले कदम से ही इतिहास रच दिया। प्रबल...