बिहार के वैशाली जिले में स्थित विश्व शांति स्तूप इन दिनों विदेशी पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। शांत माहौल, खूबसूरत नक्काशी और बौद्ध संस्कृति से जुड़ा गहरा इतिहास यहां आने वाले सैलानियों को खासा प्रभावित कर रहा है।
यह स्थल बौद्ध धर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यहाँ भगवान बुद्ध ने अपना अंतिम उपदेश दिया था। 72 एकड़ में फैले, 540 करोड़ रुपये की लागत से बने इस म्यूजियम में बुद्ध के जीवन से जुड़ी घटनाओं और बौद्ध धर्म से संबंधित प्रसंगों को प्रदर्शित किया गया है।
म्यूजियम में बुद्ध के पवित्र अवशेष भी रखे गए हैं। थाईलैंड सहित कई देशों से बौद्ध भिक्षु और पर्यटक यहाँ आ रहे हैं और बिहार सरकार के प्रयासों की सराहना कर रहे हैं। वैशाली का शांति स्तूप, रत्नागिरी पहाड़ी पर 400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, और कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने इस स्थान का तीन बार दौरा किया था।
जापानी स्थापत्य कला में निर्मित यह स्तूप बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। यहां पहुंचने वाले विदेशी सैलानी न केवल इसकी वास्तुकला की सराहना करते हैं, बल्कि बौद्ध धर्म की शिक्षाओं और आध्यात्मिक शांति से भी जुड़ाव महसूस करते हैं।
पर्यटन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, हाल के वर्षों में यहां आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। खासकर जापान, थाईलैंड, म्यांमार, श्रीलंका और कोरिया से आने वाले सैलानियों के लिए यह स्थल उनकी आध्यात्मिक यात्रा का अहम हिस्सा बन चुका है।
स्थानीय प्रशासन का कहना है कि पर्यटकों की सुविधा बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार, बेहतर गाइड सेवाएं और प्रचार-प्रसार की योजना पर काम किया जा रहा है, ताकि वैशाली का विश्व शांति स्तूप अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर और अधिक मजबूती से अपनी जगह बना सके।