HomeमनोरंजनDhadak 2 Review: जातिवाद और प्यार की टकराहट, ‘धड़क’ से बेहतर पर ओरिजिनल से कमज़ोर

Dhadak 2 Review: जातिवाद और प्यार की टकराहट, ‘धड़क’ से बेहतर पर ओरिजिनल से कमज़ोर

Date:

Share post:

सिनेमा अक्सर मनोरंजन का जरिया होता है, लेकिन कुछ फिल्में हमें आईना दिखाती हैं. ‘धड़क 2’ उन्हीं में से एक है. अगर दलित होता तो बच जाता, कोई छूता तक नहीं…इस फिल्म का ये शुरुआती डायलॉग ही सदियों के दर्द को समेट लेता है. ये लाइन सुनते ही सीधे दिल पर चोट लगती है. लेकिन क्या फिल्म इस चोट को बरकरार रख पाती है? क्या ये सच में उस दर्द को महसूस करवा पाती है, जिसे सदियों से एक बड़े तबके ने झेला है? शायद नहीं. और इसी ‘शायद’ में धड़क 2 की पूरी कहानी छिपी है। ये एक ऐसी फिल्म है जो बोलना तो बहुत कुछ चाहती है, लेकिन कई जगह अपनी ही आवाज में खो जाती है।

सिद्धांत चतुर्वेदी और तृप्ति डिमरी स्टारर ‘धड़क 2’ सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। शाजिया इकबाल द्वारा निर्देशित यह फिल्म एक बार फिर प्यार और जातिवाद की खाई को पर्दे पर लाती है। हालांकि यह फिल्म पहली ‘धड़क’ से बेहतर इमोशनल कनेक्शन बनाने में सफल होती है, लेकिन ओरिजिनल मराठी फिल्म ‘सैराट’ जितनी दमदार नहीं लगती।

कहानी

ये कहानी है नीलेश (सिद्धांत चतुर्वेदी) और विधि (तृप्ति डिमरी) की. दोनों एक ही लॉ कॉलेज में पढ़ते हैं, एक ही क्लास में बैठते हैं. लेकिन उनके बीच एक ऐसी गहरी खाई है जो दिखती नहीं, पर हर पल महसूस होती है. इस खाई के चलते ही नीलेश को अपना उपनाम ‘अहिरवार’ छिपाकर रखना पड़ता है, क्योंकि ये उसकी ‘निचली जाति’ की पहचान है. वहीं विधि एक ‘ऊंची जाति’ के ब्राह्मण परिवार से है, जिसे कभी अपनी जाति के बारे में सोचना भी नहीं पड़ा.

फिल्म की कहानी एक छोटे शहर के युवक-युवती के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने प्यार के लिए समाज और जातिवाद से लड़ते हैं। शाजिया इकबाल का डायरेक्शन फिल्म को रियलिस्टिक टोन देता है, वहीं सिद्धांत और तृप्ति की केमिस्ट्री और परफॉर्मेंस फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है।

धड़क 2 एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दे पर बनी है. ये फिल्म हमें बताती है कि कैसे आज भी कुछ लोग अपनी जाति के कारण लगातार अपमानित होते हैं, उन पर गंदगी फेंकी जाती है और उन्हें मारा-पीटा जाता है. नीलेश का किरदार धीरे-धीरे इस अपमान के खिलाफ खड़ा होता है. उसका ‘मारो या मरो’ का नारा उसकी मजबूरी बन जाता है. इस संघर्ष में उसकी मां और कॉलेज के प्रिंसिपल का साथ उसके हौसले को और बढ़ा देता है।

कैसी है ये फिल्म?

ये फिल्म तमिलनाडु की सुपरहिट ‘Pariyerum Perumal’ से प्रेरित है. फिल्म में जब नीलेश अपनी दुनिया विधि को दिखाता है — कैसे उसकी मां को अपनी आवाज उठाने पर पुलिस वाला थप्पड़ जड़ देता है, कैसे पानी का इस्तेमाल करने की वजह से उसके कुत्ते को बेरहमी से मारा जाता है, तब फिल्म कुछ पल के लिए असली और गहरी लगती है. रही बात नीलेश विधि के प्यार की, तो इन दोनों के बीच प्यार तो पनपता है, लेकिन ये प्यार भी कहीं-कहीं जगह पर थोपा हुआ सा लगता है. धड़क 2 की कहानी सिर्फ दो प्रेमियों की नहीं, बल्कि उस पूरे समाज की है जो आज भी जाति की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है.

हालांकि, फिल्म का दूसरा हाफ थोड़ा लंबा और प्रेडिक्टेबल लगता है। बैकग्राउंड म्यूजिक और सिनेमैटोग्राफी कहानी को सहारा देते हैं, लेकिन क्लाइमेक्स उतना असरदार नहीं लगता जितना ‘सैराट’ में था। कुल मिलाकर, ‘धड़क 2’ एक बार जरूर देखी जा सकती है, खासकर अगर आपको सोशल इश्यू बेस्ड लव स्टोरीज पसंद हैं। अगर आप कुछ नया और रोमांटिक फिल्म देखना चाहते है तो , धड़क-2 फिल्म देख सकते है।

Related articles

गरीबी पर जीत, सब्ज़ीवाले की बेटी ने हासिल किया डिप्टी कलेक्टर का पद

छत्तीसगढ़ में घोषित हुए CGPSC 2024 के नतीजों में सरगुजा ज़िले के सीतापुर काराबेल क्षेत्र की किसान परिवार...

T20 वर्ल्ड कप 2026: रोहित शर्मा को मिली ICC की अहम जिम्मेदारी

ICC ने भारत के पूर्व कप्तान रोहित शर्मा को T20 वर्ल्ड कप 2026 का टूर्नामेंट एम्बेसडर नियुक्त किया...

17 साल बाद भी जख्म ताज़ा: 26/11 के शहीदों को देश का सलाम

देशभर में 26/11 मुंबई आतंकी हमले की 17वीं बरसी पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। 2008 में लश्कर-ए-तैयबा...

धर्मेंद्र के लिए शाहरुख खान भावुक, दिल छू लेने वाला संदेश

बॉलीवुड के लीजेंड धर्मेंद्र का 24 नवंबर को 89 वर्ष की उम्र में लंबी बीमारी के बाद निधन...