ईरान पर इजराइल के हमले के बाद से आए दिन इजराइल के लिए जासूसी करने वाले और उससे जुड़े लोगों को ईरान फांसी दे रहा है. यहीं नहीं ईरान पर आरोप है कि वहां सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को मौत की सजा देना आम है. इस साल जून में मानवाधिकार परिषद (HRC) के 59वें सत्र में ईरान में बढ़ती फांसी की घटनाओं की रिपोर्टों पर चिंता जताई गई थी. लेकिन अब आई एक नई रिपोर्ट में फांसी देने के मामले में सऊदी सबसे आगे निकलता नजर आ रहा है.
एक नई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और वैश्विक समुदाय को चौंका दिया है। एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International) की रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब ने फांसी की सजा देने के मामले में ईरान को भी पीछे छोड़ दिया है। रिपोर्ट बताती है कि साल 2014 से लेकर 2025 तक, सऊदी अरब ने 1816 लोगों को फांसी दी है। इनमें बड़ी संख्या में विदेशी नागरिक भी शामिल हैं, जिन पर ड्रग तस्करी, हत्या या आतंकवाद जैसे आरोप थे।
विशेषज्ञों का कहना है कि सऊदी सरकार इन सजाओं को सार्वजनिक रूप से नहीं प्रचारित करती, जिससे इसे “साइलेंट किलर” कहा जा रहा है। सऊदी की न्यायिक प्रणाली में गोपनीयता, तेज सुनवाई, और अपील के सीमित अवसरों की वजह से यह चिंता और भी बढ़ जाती है। रिपोर्ट में यह भी उजागर हुआ है कि कई मामलों में निष्पक्ष सुनवाई नहीं होती और मजबूरन कुबूलनामे के आधार पर भी फांसी दी जाती है।
एमनेस्टी ने इस पर चिंता जताते हुए कहा कि इस तरह की न्यायिक प्रक्रिया मानवाधिकार उल्लंघन के अंतर्गत आती है।
सऊदी की सरकार की ओर से फिलहाल इस रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।