भारतीयों की बदलती खानपान की आदतों पर एक ताज़ा रिपोर्ट ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। पिछले 10 वर्षों में देश में प्रोटीन डाइट की ओर रुझान जरूर बढ़ा है, लेकिन साथ ही फैट (वसा) की खपत में भी खतरनाक बढ़ोतरी हुई है, जिससे सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में दालों का सेवन थोड़ा बढ़ा है, जिससे वहां प्रोटीन की मात्रा में सुधार हुआ है। लेकिन शहरी क्षेत्रों में इसके विपरीत गिरावट देखी गई है। वहीं, अंडा, मांस और मछली जैसे प्रोटीन स्रोतों का सेवन दोनों ही इलाकों में तेज़ी से बढ़ा है।
हालांकि चिंता की बात यह है कि साथ-साथ वसा यानी फैट की मात्रा भी डाइट में काफी बढ़ी है, जो मोटापा, हृदय रोग और मधुमेह जैसी बीमारियों को बढ़ावा दे रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रोटीन की मात्रा बढ़ाना अच्छी बात है, लेकिन संतुलन बनाए बिना किया गया कोई भी डायट परिवर्तन सेहत के लिए खतरा बन सकता है। पोषण विशेषज्ञों ने लोगों से अपील की है कि वे प्राकृतिक प्रोटीन स्रोतों को प्राथमिकता दें, जैसे दालें, दूध और सब्ज़ियाँ, और साथ ही तले-भुने और हाई फैट फूड से परहेज करें।
किस चीज से ज्यादा मिल रहा प्रोटीन?
सांख्यिकी विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में पांच प्रमुख फूड ग्रुप्स में से प्रोटीन का 46-47 पर्सेंट हिस्सा अनाज से आता है, जिनमें दालें, दूध, दूध से बने प्रॉडक्ट, अंडे, मांस और मछली आदि शामिल हैं. वहीं, शहरी इलाकों में 2022-2023 और 2023-2024 के दौरान प्रोटीन इनटेक 39 पर्सेंट अनाज से लिया गया. रिपोर्ट से पता चलता है कि 2009-10 की तुलना में प्रोटीन इनटेक में अनाज का योगदान ग्रामीण इलाकों में करीब 14 पर्सेंट और शहरी इलाकों में करीब 12 पर्सेंट कम हो गया है. आंकड़ों के मुताबिक, अनाज की हिस्सेदारी में गिरावट की वजह अंडे, मछली, मांस समेत अन्य फूड आइटम्स और मिल्क प्रॉडक्ट्स की खपत में इजाफा है.