बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग (EC) की उस घोषणा पर कड़ी आपत्ति जताई है, जिसमें राज्य में मतदाता सूची को नए सिरे से तैयार करने की बात कही गई है। तेजस्वी ने इस कदम को “लोकतंत्र पर हमला” करार देते हुए इसे एनडीए सरकार की साजिश बताया है।
तेजस्वी यादव ने सवाल उठाया कि आखिर 22 साल बाद अचानक इतनी जल्दी इस प्रक्रिया की क्या आवश्यकता पड़ी? उन्होंने कहा कि इतनी कम अवधि में पूरी मतदाता सूची को फिर से तैयार करना कई संदेहों को जन्म देता है। उन्होंने इसे जानबूझकर की गई जल्दबाजी बताया और दावा किया कि यह फैसला जनमत को प्रभावित करने की साजिश हो सकती है।
तेजस्वी का आरोप:
“क्या सरकार और चुनाव आयोग मिलकर लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करना चाहते हैं? जनता को जवाब चाहिए कि इतने बड़े स्तर पर मतदाता सूची में फेरबदल करने के पीछे असली मंशा क्या है।”
तेजस्वी ने कहा कि अगर यह प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं रही, तो राजद (RJD) इसका जोरदार विरोध करेगी और जनता को सच्चाई बताएगी। उन्होंने चुनाव आयोग से मांग की है कि वह इस प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से चलाए और सभी राजनीतिक दलों को इसमें बराबर की भूमिका दी जाए।
बीजेपी की प्रतिक्रिया
बीजेपी नेताओं ने तेजस्वी के आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि मतदाता सूची का पुनरीक्षण एक नियमित और पारदर्शी प्रक्रिया है। उन्होंने दावा किया कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है और जनता को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है।बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक हलचल पहले से ही तेज है, और इस ताजा विवाद ने माहौल को और अधिक राजनीतिक रूप से संवेदनशील बना दिया है।
गरीबों के मताधिकार पर हमला कर रही भाजपा: तेजस्वी
तेजस्वी यादव (Tejshwi Yadav) ने कहा कि बीजेपी गरीबों के वोटिंग अधिकार पर हमला कर रही है। ये संविधान के साथ खिलवाड़ है। वे सोमवार को स्थानीय परिसदन में प्रेसवार्ता कर रहे थे।यहां उन्होंने यह भी कहा कि महागठबंधन का एक प्रतिनिधिमंडल जल्द ही चुनाव आयोग से मिलकर इस मुद्दे पर आपत्ति जताएगा और पारदर्शिता की मांग करेगा।