दिल्ली से सटे नोएडा के सेक्टर-55 में स्थित एक वृद्धाश्रम में अमानवीयता की हदें पार कर देने वाला मामला सामने आया है। महिला आयोग, नोएडा पुलिस और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम ने जब आश्रम पर छापेमारी की तो रेड टीम भी सन्न रह गई।
आश्रय स्थल की हालत इतनी खराब थी कि वहां रह रहे बुजुर्गों को मल-मूत्र में सने गंदे कपड़ों में, हाथ बंधे हुए, बिना रोशनी और वेंटिलेशन के तहखाने जैसे कमरों में बंद पाया गया। कुल 39 बुजुर्गों को रेस्क्यू कर सरकारी आश्रय स्थल में सुरक्षित स्थानांतरित किया गया है।
छापेमारी में क्या मिला?
- बुजुर्गों को बिस्तर और साफ-सफाई की बुनियादी सुविधाएं भी नहीं दी गई थीं।
- कई बुजुर्गों के हाथ बांधकर बंद कमरों में रखा गया था, जिससे उनकी आवाज़ तक बाहर नहीं जाती थी।
- जगह-जगह गंदगी, दुर्गंध और गंदा पानी भरा हुआ मिला।
- भोजन और दवाओं की भी भारी कमी पाई गई।
डोनेशन के नाम पर अमानवीयता
यह वृद्धाश्रम ढाई लाख रुपये डोनेशन लेकर लोगों को “प्रीमियम केयर” देने का दावा करता था। लेकिन जमीनी सच्चाई इसके ठीक उलट थी। महिला आयोग की सदस्य ने बताया कि, “यह सिर्फ धोखा नहीं, बल्कि बुजुर्गों के खिलाफ अपराध है। यहां जो देखा, वह इंसानियत को शर्मसार करने वाला है।”
बुजुर्गों की हालत देखकर भावुक हुए अफसर
छापेमारी के दौरान मौजूद अधिकारी और महिला आयोग की टीम भावुक हो गई। कई बुजुर्गों ने बताया कि वे महीनों से धूप तक नहीं देख पाए थे और उनके परिवार वालों से कोई संपर्क नहीं था।
पुलिस और प्रशासन का एक्शन
- आश्रम को सील कर दिया गया है।
- संचालकों के खिलाफ धोखाधड़ी, अमानवीय व्यवहार और गलत जानकारी देने के आरोप में केस दर्ज किया गया है।
- मामले की जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया है।
महिला आयोग का बयान
महिला आयोग ने कहा: “यह सिर्फ एक वृद्धाश्रम का मामला नहीं, यह हमारी सामाजिक व्यवस्था की विफलता है। सभी निजी वृद्धाश्रमों का ऑडिट और निरीक्षण अब अनिवार्य किया जाएगा।” नोएडा का यह मामला एक चेतावनी है कि कैसे “केयर होम” के नाम पर कुछ संस्थान बुजुर्गों के साथ हैवानियत कर रहे हैं। ऐसे मामलों में कड़ी निगरानी, लाइसेंसिंग और नियमित जांच की ज़रूरत पहले से कहीं अधिक है।