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Monsoon Travel Alert: बारिश में केदारनाथ से अमरनाथ तक खतरे की घंटी! जानिए किन तीर्थ स्थलों की यात्रा से बचें जून-जुलाई में”

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जून-जुलाई का समय भारत में मानसून का मौसम होता है, जब अधिकांश राज्यों में भारी बारिश, भूस्खलन, बाढ़ और रास्तों की खराब स्थिति जैसी समस्याएं देखने को मिलती हैं। ऐसे में अगर आप धार्मिक यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो कुछ स्थलों पर जाने से बचना ही समझदारी होगी। कई धार्मिक स्थल पहाड़ी या नदी किनारे स्थित होते हैं, जहां बारिश के मौसम में जान का खतरा तक हो सकता है।

1. केदारनाथ (उत्तराखंड)

  • केदारनाथ धाम ऊंचे हिमालयी क्षेत्र में स्थित है और मानसून में यहां भारी बारिश और भूस्खलन आम बात है।
  • 2013 की आपदा के बाद से मानसून के दौरान यहां यात्रा विशेष सतर्कता से की जाती है।
  • जून-जुलाई में ट्रैकिंग रूट्स फिसलन भरे हो जाते हैं, और हेलिकॉप्टर सेवाएं भी बाधित हो सकती हैं।

2. अमरनाथ यात्रा (जम्मू-कश्मीर)

  • अमरनाथ यात्रा सामान्यतः जून-जुलाई में होती है, लेकिन लगातार बारिश, ग्लेशियर पिघलना और रास्तों पर बर्फ गिरने की वजह से जोखिम बहुत बढ़ जाता है।
  • कई बार लैंडस्लाइड और फ्लैश फ्लड की वजह से यात्रा बीच में ही रोक दी जाती है।

3. वैष्णो देवी (जम्मू)

  • बारिश के कारण कटरा से भवन तक की चढ़ाई खतरनाक हो जाती है।
  • रास्तों पर फिसलन और अचानक मौसम खराब होने से यात्रियों को स्वास्थ्य और सुरक्षा दोनों तरह की समस्या हो सकती है।
  • गुफा में जलभराव भी देखा गया है।

4. त्र्यंबकेश्वर और भंडारदरा (महाराष्ट्र)

  • ये धार्मिक स्थल घने जंगलों और घाट क्षेत्रों में स्थित हैं।
  • जुलाई में भारी बारिश और झीलों का जलस्तर बढ़ने से पहुंचने के रास्ते कट जाते हैं।
  • भंडारदरा जाने वाले कई श्रद्धालु फंसने की खबरें आती रही हैं।

5. कामख्या मंदिर (असम)

  • ब्रह्मपुत्र नदी किनारे स्थित यह शक्तिपीठ जुलाई में भारी बारिश और बाढ़ की चपेट में आ सकता है।
  • असम में मानसून के दौरान बाढ़ और ट्रांसपोर्ट बंद हो जाना आम है।

6. पंढरपुर यात्रा (महाराष्ट्र)

  • आषाढ़ी एकादशी पर लाखों श्रद्धालु पंढरपुर जाते हैं।
  • लेकिन लगातार बारिश और भीड़ की वजह से सड़क दुर्घटनाएं, स्वास्थ्य संकट और अव्यवस्था की आशंका रहती है।

सावधानी जरूरी क्यों है?

  • पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन और सड़क टूटने का खतरा
  • हेलिकॉप्टर सेवाएं और परिवहन पर असर
  • तीर्थयात्रियों को बीमारियों, सर्दी-खांसी और हाइपोथर्मिया का खतरा
  • दवाइयों, मेडिकल हेल्प और खाने-पीने की व्यवस्था में बाधा

विशेषज्ञों की सलाह

  • मानसून के दौरान तीर्थ यात्रा टालना बेहतर विकल्प है।
  • अगर जाना जरूरी हो तो मौसम अपडेट, प्रशासन की सलाह और मेडिकल फिटनेस को प्राथमिकता दें।
  • बारिश के बाद यानी अगस्त-सितंबर में यात्रा करना अपेक्षाकृत सुरक्षित होता है।

धार्मिक आस्था महत्वपूर्ण है, लेकिन जीवन और सुरक्षा सर्वोपरि है। मानसून में यात्रा से पहले सोच-समझकर निर्णय लें। कुछ धार्मिक यात्राएं सिर्फ भावना नहीं, तैयारी भी मांगती हैं।

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