मध्य पूर्व (Middle East) में ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते सैन्य टकराव पर कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का बयान सामने आया है। उन्होंने एक राष्ट्रीय अखबार में लेख लिखकर भारत की विदेश नीति और ऐतिहासिक संबंधों को ध्यान में रखते हुए, इस संघर्ष पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।
सोनिया गांधी ने लिखा, “ईरान भारत का पुराना मित्र रहा है। सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और ऊर्जा के क्षेत्र में हमारे संबंध दशकों पुराने हैं। दूसरी ओर, इजरायल के साथ भी भारत के रणनीतिक रिश्ते मजबूत हुए हैं। ऐसे में भारत को एक संतुलित, शांतिपूर्ण और नैतिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।”
‘भारत को बने रहना चाहिए तटस्थ और संवाद का पक्षधर’
उन्होंने भारत की परंपरागत गुटनिरपेक्ष नीति की बात करते हुए लिखा कि ऐसे समय में भारत को युद्ध की बजाय शांति और कूटनीति की राह दिखानी चाहिए। उनका कहना था कि दोनों देशों के साथ भारत के मजबूत संबंध हैं, लेकिन हमें वैश्विक शांति और स्थायित्व के लिए संवाद को प्राथमिकता देनी चाहिए।
युद्ध में नहीं, समाधान में हो भारत की भूमिका
सोनिया गांधी ने अपने लेख में यह भी कहा कि भारत को ऐसे संघर्षों में सैन्य समर्थन से बचना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांति की पहल में नेतृत्व करना चाहिए। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों को भी सक्रिय होने की सलाह दी।
राजनीतिक हलकों में बयान पर हलचल
सोनिया गांधी के इस लेख को लेकर राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। कुछ इसे “परिपक्व दृष्टिकोण” मान रहे हैं, वहीं कुछ इसे “भारत की तटस्थता पर प्रश्न” के रूप में देख रहे हैं।