योग केवल शरीर को स्वस्थ रखने का माध्यम नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की राह भी है। यही कारण है कि योग को शिव से जोड़कर देखा जाता है। शिव को ‘आदि योगी’ यानी योग का जनक माना जाता है, और उन्हीं से प्रेरित कुछ विशेष योगासनों का अभ्यास करके हम न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति भी प्राप्त कर सकते हैं।
इंटरनेशनल योग दिवस 2025 के मौके पर आइए जानते हैं ऐसे चार प्रमुख योगासन, जो भगवान शिव से जुड़े माने जाते हैं और जिनके नियमित अभ्यास से जीवन में संतुलन, ऊर्जा और मानसिक स्थिरता आती है।
1. वज्रासन (Vajrasana):
भगवान शिव को ध्यान मुद्रा में अक्सर वज्रासन में बैठा दिखाया जाता है। यह पाचन को मजबूत करता है और ध्यान के लिए सबसे उपयुक्त आसन है।
लाभ: पाचन सुधार, मन को शांत करना, ध्यान केंद्रित करना।
2. त्रिकोणासन (Trikonasana):
त्रिकोण का अर्थ है त्रिपुर — तीनों लोकों के स्वामी भगवान शिव के प्रतीक। यह आसन शरीर को संतुलन देता है।
लाभ: कमर दर्द में राहत, रीढ़ की लचीलापन, फेफड़ों की क्षमता बढ़ाना।
3. भुजंगासन (Bhujangasana):
नाग देवता शिव के गले में लिपटे रहते हैं, और यह आसन सर्प की मुद्रा से प्रेरित है। यह शरीर में ऊर्जा प्रवाह को बढ़ाता है।
लाभ: रीढ़ की मजबूती, तनाव में राहत, श्वसन प्रणाली में सुधार।
4. पद्मासन (Padmasana):
यह शिव की सबसे प्रसिद्ध ध्यान मुद्रा है। इस आसन में ध्यान करना आत्मिक शांति और मोक्ष का द्वार खोलता है।
लाभ: ध्यान में सहायता, मन की एकाग्रता, मानसिक विकारों में राहत।
मोक्ष का मार्ग और योग का महत्व
शिव से जुड़े ये आसन न केवल हमें रोगों से बचाते हैं, बल्कि हमारे भीतर की शक्ति को जाग्रत करते हैं। इंटरनेशनल योग दिवस 2025 का यह संदेश है कि “योग केवल अभ्यास नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है।” शिव को समर्पित ये योगासन उस दर्शन की जीवंत झलक हैं।