हर साल 21 जून को International Yoga Day मनाया जाता है। ये शब्द संस्कृत के युज शब्द से लिया गया है। इसका सीधा मतलब है जुड़ना। ये जुड़ाव तन, मन और आत्मा के बीच का होता है। ये जीवन जीने का सलीका हमें सिखाता है। इंटरनेशनल योग दिवस पर देश दुनिया में कई जगहों पर योग कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इसमें लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि योग का इतिहास (Who started yoga in India) क्या है।
योग की उत्पत्ति के संदर्भ में भगवान शिव को “आदि योगी” और “आदि गुरु” माना जाता है। पुराणों और योग परंपरा के अनुसार, महादेव ने सबसे पहले योग का ज्ञान सप्तऋषियों को दिया था, जो बाद में पूरी दुनिया में फैला।
योग की आध्यात्मिक शुरुआत:
हिमालय की गहराई में तपस्या कर रहे शिव ने जब ध्यान की उच्च अवस्था प्राप्त की, तब उनके शरीर से सहज रूप से 84 लाख आसन उत्पन्न हुए। यही योग का आरंभ माना जाता है। शिव ने जब अपने ज्ञान को सप्तऋषियों को दिया, तब योग केवल आत्मकल्याण का मार्ग नहीं बल्कि ब्रह्मांड से जुड़ने का साधन बन गया।
अंतरराष्ट्रीय पहचान कैसे मिली?
21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने का प्रस्ताव भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में रखा था। यह दिन वर्ष का सबसे लंबा दिन (Summer Solstice) होता है, जो योग के लिए विशेष ऊर्जा प्रदान करता है। UNGA में 193 में से 177 देशों ने इसका समर्थन किया, और 21 जून को International Day of Yoga के रूप में मान्यता मिली।
2025 की थीम और आयोजन:
इस वर्ष 2025 की थीम है: “योगा फॉर वेलनेस एंड पीस” (Yoga for Wellness and Peace)
भारत और दुनिया भर में लाखों लोग सामूहिक योग कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं, स्कूलों, ऑफिसों, पार्कों और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर योग अभ्यास हो रहा है।
योग सिर्फ एक व्यायाम नहीं, यह एक जीवनशैली, साधना और आत्मबोध की परंपरा है, जिसकी शुरुआत स्वयं महादेव से हुई। आज जब पूरी दुनिया योग के लाभ को स्वीकार कर रही है, तब यह जानना जरूरी है कि यह भारत की प्राचीनतम देन है।