टेलीग्राम ऐप के संस्थापक और अरबपति पावेल ड्यूरोव ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। उन्होंने कहा है कि वो अपनी लगभग 20 अरब डॉलर (करीब 1.67 लाख करोड़ रुपये) की संपत्ति 100 ऐसे बच्चों में बांटेंगे जो स्पर्म डोनेशन के जरिए पैदा हुए हैं। ड्यूरोव ने ये जानकारी एक इंटरव्यू में दी, जो उन्होंने फ्रांस की एक मैगजीन Le Point को दिया। उन्होंने बताया कि उन्होंने हाल ही में अपनी वसीयत (Will) तैयार की है, जिसमें ये फैसला शामिल है।
टेलीग्राम के फाउंडर और अरबपति उद्यमी पावेल ड्यूरोव ने एक ऐसा फैसला लिया है जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। ड्यूरोव ने घोषणा की है कि वे अपने स्पर्म डोनेशन से जन्मे 100 बच्चों को अपनी पूरी 20 अरब डॉलर की संपत्ति देने जा रहे हैं।
ड्यूरोव का कहना है कि यह कदम वे मानव विकास और अपनी जेनेटिक विरासत को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से उठा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ी में “साहस, स्वतंत्र सोच और इनोवेशन” को बढ़ावा मिले।
15 सालों में 12 देशों में पैदा हुए बच्चे
पावेल ड्यूरोव ने बताया कि उन्होंने 15 साल पहले एक दोस्त की मदद करने के लिए स्पर्म डोनेट करना शुरू किया था। उसके बाद से अब तक 12 अलग-अलग देशों में 100 से ज्यादा बच्चे पैदा हुए हैं। ड्यूरोव का कहना है कि वह इन बच्चों को भी अपने खुद के बच्चों की तरह मानते हैं। उन्होंने कहा, “मेरे लिए ये सभी बच्चे बराबर हैं, चाहे वो मेरे पार्टनर से पैदा हुए हों या स्पर्म डोनेशन से।
कौन हैं पावेल ड्यूरोव?
पावेल ड्यूरोव रूस के बेहद चर्चित टेक उद्यमियों में गिने जाते हैं। उन्होंने सबसे पहले VKontakte नामक सोशल नेटवर्क की स्थापना की थी और बाद में टेलीग्राम ऐप लॉन्च किया, जो आज पूरी दुनिया में करोड़ों यूज़र्स द्वारा उपयोग किया जाता है।
ड्यूरोव का बयान:“मैं चाहता हूं कि मेरे जैसे विचार रखने वाले बच्चों को मौका मिले। अगर मेरा डीएनए उन्हें प्रेरणा दे सकता है, तो मैं अपनी दौलत उन्हें देने के लिए तैयार हूं।”
यह प्रक्रिया कैसे होगी?
- पावेल ड्यूरोव एक खास मेडिकल प्रोग्राम के तहत 100 स्पर्म डोनेशन करेंगे।
- इन डोनेशन से जन्मे बच्चों की पहचान और डीएनए सत्यापन के बाद उन्हें संपत्ति में अधिकार मिलेगा।
- इस पूरी प्रक्रिया में कानूनी विशेषज्ञों और मेडिकल साइंटिस्ट्स की निगरानी रहेगी।
विवाद और प्रतिक्रिया:
जहां एक ओर कुछ लोग इस फैसले को “प्रगतिशील सोच” बता रहे हैं, वहीं कुछ इसे “धन और सत्ता के माध्यम से जेनेटिक नियंत्रण” का प्रयास मान रहे हैं। सोशल मीडिया पर इसको लेकर तीखी बहस शुरू हो गई है।