प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार के सीवान में होने वाला दौरा सिर्फ विकास परियोजनाओं की शुरुआत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी छिपा है। पीएम मोदी इस दौरे में 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की योजनाओं की सौगात राज्य को देंगे, लेकिन असली मकसद 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव और 2024 के प्रदर्शन के बाद एनडीए को और मजबूती देना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनावी वर्ष में आज (शुक्रवार) एक बार फिर बिहार दौरे पर आ रहे हैं। यह उनका इस साल का चौथा बिहार दौरा है। इससे पहले वे भागलपुर (24 फरवरी 2025), मधुबनी (24 अप्रैल 2025) और 29 मई को दो दिवसीय दौरे पर बिहार आए थे। आज सीवान में जनसभा को संबोधित करेंगे। पीएम मोदी का सीवान दौरा चुनावी एंगल से भी खास है।
महागठबंधन का गढ़ बन चुका है यह इलाका
सीवान और इसके आसपास के क्षेत्र की बात करें तो यहां कुल 24 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 14 सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है। यही वजह है कि यह इलाका बीजेपी और एनडीए के लिए चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। पीएम मोदी की यह यात्रा इस क्षेत्र में राजनीतिक संतुलन को बदलने की एक कोशिश के रूप में देखी जा रही है।
एनडीए का चुनावी एजेंडा होगा केंद्र में
पीएम मोदी इस मंच से न सिर्फ विकास योजनाओं की घोषणा करेंगे, बल्कि एनडीए का चुनावी एजेंडा भी जनता के सामने रख सकते हैं। बिहार में तीसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही बीजेपी-एनडीए का फोकस अब साफ है—जनकल्याण के साथ-साथ विपक्ष के गढ़ में सेंध लगाना।
योजनाओं के साथ राजनीतिक धार
सीवान दौरे में पीएम मोदी 400 करोड़ की लागत से बनने वाली वैशाली-देवरिया रेलवे लाइन प्रोजेक्ट का शुभारंभ करेंगे और एक नई ट्रेन सेवा की शुरुआत भी होगी। इसके अलावा आवास, बिजली, सड़क और पेयजल जैसी परियोजनाओं की भी नींव रखी जाएगी।
राजनीतिक समीकरण बदलने की तैयारी
विशेषज्ञों के अनुसार, इस यात्रा के माध्यम से पीएम मोदी सीधा यह संदेश देना चाहते हैं कि केंद्र सरकार बिहार को नज़रअंदाज़ नहीं कर रही, बल्कि अब राज्य के हर हिस्से में बराबर विकास हो रहा है। खासकर उन इलाकों में जो अब तक विपक्ष के प्रभाव में रहे हैं।