जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर देशद्रोह और आतंकवाद की शर्मनाक तस्वीर सामने आई है। लश्कर-ए-तैयबा के मोस्ट वांटेड आतंकी सैफुल्लाह की मौत के बाद उसका जनाज़ा पाकिस्तानी झंडे में लपेटकर निकाला गया, जिससे घाटी में एक बार फिर माहौल तनावपूर्ण हो गया है।
सैफुल्लाह वही आतंकी है, जो हाल ही में पहलगाम हमले में शामिल था, उस हमले में भारतीय सुरक्षाबलों को निशाना बनाया गया था और देशभर में आक्रोश फैल गया था। जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, हमले के तुरंत बाद सैफुल्लाह को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI ने अंडरग्राउंड कर दिया था, ताकि वह पकड़ में न आए। पाकिस्तानी झंडे में लिपटा जनाज़ा – क्या संदेश देना चाहते हैं आतंकी समर्थक?
स्थानीय स्तर पर लश्कर के समर्थकों ने सैफुल्लाह के शव को पाकिस्तानी झंडे में लपेटा और उसके “बलिदान” को श्रद्धांजलि दी। यह न केवल भारतीय कानून और संविधान का अपमान है, बल्कि यह सीधे-सीधे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की स्वीकारोक्ति भी है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो और तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि कुछ लोग ‘शहीद सैफुल्लाह जिंदाबाद‘ जैसे नारे लगा रहे थे, जिस पर प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए तीन लोगों को हिरासत में लिया है।
ISI का प्लान और सैफुल्लाह की मौत:
- ISI ने पहलगाम हमले के बाद सैफुल्लाह को LOC के पास छिपा दिया था।
- सैफुल्लाह भारतीय सेना की टारगेट लिस्ट में टॉप पर था।
- खुफिया सूचना के आधार पर हुई मुठभेड़ में उसकी मौत हुई।
- मौके से पाकिस्तानी हथियार, नक्शे और सैटेलाइट फोन बरामद हुए हैं।
सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई:
- 12 संदिग्ध हिरासत में
- इंटरनेट सेवाएं अस्थाई रूप से बंद
- वीडियो वायरल करने वालों पर UAPA के तहत केस दर्ज
सैफुल्लाह जैसे आतंकी और उन्हें समर्थन देने वाले चेहरे देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। प्रशासन के मुताबिक, इस तरह की देशविरोधी गतिविधियों को अब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।