भारत द्वारा हाल ही में अंजाम दिए गए गुप्त सैन्य अभियान “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं। चीन ने इस घटनाक्रम पर पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि भारत और पाकिस्तान को संयम बरतते हुए क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने पर ध्यान देना चाहिए। बीजिंग ने स्पष्ट किया कि बढ़ते तनाव को “कम से कम” करने की कोशिश होनी चाहिए।
क्या कहा चीन ने?
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा “भारत और पाकिस्तान दोनों एशिया के महत्वपूर्ण देश हैं। हम आशा करते हैं कि दोनों पक्ष क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और विकास के हित में तनाव को टालने और संवाद बढ़ाने का प्रयास करेंगे। “हालांकि बयान में ऑपरेशन सिंदूर का नाम नहीं लिया गया, लेकिन अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों का मानना है कि यह टिप्पणी सीधे उसी से जुड़ी हुई है।
भारत की प्रतिक्रिया क्या होगी?
भारत सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया है, लेकिन रक्षा सूत्रों का कहना है कि चीन की इस टिप्पणी को “प्रतीकात्मक कूटनीतिक हस्तक्षेप” के तौर पर देखा जा रहा है। भारत पहले भी कह चुका है कि उसकी सैन्य कार्रवाइयां राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के तहत होती हैं, न कि किसी देश के खिलाफ।
चीन की चिंता या दोहरा मापदंड?
विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह बयान साफ तौर पर पाकिस्तान के हितों की पैरवी करता है, जबकि वह खुद दक्षिण चीन सागर में आक्रामक रवैया अपनाए हुए है। यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या चीन भारत-पाक तनाव के नाम पर क्षेत्र में अपना दखल बढ़ाने की कोशिश कर रहा है?
अंतरराष्ट्रीय दबाव या रणनीतिक दबाव?
अमेरिका और रूस की ओर से अभी तक कोई बड़ा बयान नहीं आया है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की नजर भी इस स्थिति पर बनी हुई है। यह देखना अहम होगा कि भारत अपने “नो टॉलरेंस फॉर टेरर” सिद्धांत पर कैसे कायम रहता है जबकि वैश्विक ताकतें कूटनीतिक दबाव बनाने की कोशिश कर रही हैं।