देशभर में सुरक्षा तैयारियों को परखने और आम जनता को आपातकालीन हालात में सतर्क रहने के लिए एक बड़ा अभियान चल रहा है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और राज्य आपदा मोचन बलों (SDRF) की निगरानी में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक मॉक ड्रिल्स का आयोजन किया जा रहा है। इन अभ्यासों का मकसद है – जनता को युद्ध जैसे हालात, हवाई हमलों और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए जागरूक और तैयार करना।
हवाई हमले की सूरत में क्या करना चाहिए?
मॉक ड्रिल में विशेषज्ञों ने बताया:
- तुरंत नजदीकी बंकर या शेल्टर की ओर भागें।
- घर में हैं तो फर्श पर लेट जाएं, दरवाजे और खिड़कियां बंद करें।
- घबराएं नहीं, रेडियो या सरकारी सूचना चैनल्स से अपडेट लेते रहें।
- मोबाइल नेटवर्क बंद हो सकता है, इसलिए पहले से इमरजेंसी प्लान बना लें।
अगर कहीं आग लग जाए तो
- बिना देरी किए फायर अलार्म बजाएं या 101 पर कॉल करें।
- गीला कपड़ा नाक और मुंह पर रखें और झुक कर निकलने की कोशिश करें।
- लिफ्ट का इस्तेमाल न करें।
- LPG सिलेंडर या किसी भी विस्फोटक से दूर रहें।
प्रशिक्षण में क्या-क्या सिखाया जा रहा है?
- CPR (दिल की धड़कन रोकने पर फर्स्ट ऐड)
- फायर एक्सटिंग्विशर का सही इस्तेमाल
- बम विस्फोट के बाद राहत कार्य की प्राथमिकता
- महिलाओं और बच्चों की विशेष सुरक्षा प्रक्रिया
किन-किन जगहों पर चल रही है मॉक ड्रिल?
- दिल्ली: मेट्रो स्टेशनों, अस्पतालों और सरकारी इमारतों में मॉक बम अलर्ट
- मुंबई: समुद्र तटों और रेलवे स्टेशनों पर तटीय हमले का अभ्यास
- जम्मू-कश्मीर: सीमा क्षेत्रों में गोलाबारी के समय नागरिक सुरक्षा की तैयारी
- केरल और तमिलनाडु: सुनामी अलर्ट और समुद्री तूफान से निपटने का अभ्यास
- उत्तराखंड: भूकंप बचाव और पहाड़ी क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन
- क्यों है यह मॉक ड्रिल जरूरी?
NDMA के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया: आधुनिक युद्ध में सिर्फ फौज ही नहीं, जनता की भी तैयारियां अहम होती हैं। यह मॉक ड्रिल नागरिकों को आत्मनिर्भर और जागरूक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।”
लोगों से अपील
सरकार ने लोगों से आग्रह किया है कि वे इन मॉक ड्रिल्स को हल्के में न लें। जो भी निर्देश मिलें, उन्हें गंभीरता से अपनाएं, क्योंकि यही आपातकालीन हालात में जान बचा सकते हैं।