गर्मियों का मौसम आते ही आइसक्रीम खाने का मन हर किसी का करता है। बाजार में मिलने वाली रंग-बिरंगी, स्वादिष्ट आइसक्रीम बच्चों से लेकर बड़ों तक को खूब लुभाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ आइसक्रीम में स्वाद और रंग बढ़ाने के चक्कर में डिटर्जेंट पाउडर जैसी हानिकारक चीजें भी मिलाई जा रही हैं? जी हां, ये सुनने में जितना डरावना लगता है, असलियत में उससे कहीं ज्यादा खतरनाक है।
क्यों मिलाया जाता है डिटर्जेंट?
कुछ लालची दुकानदार और लोकल आइसक्रीम निर्माता लागत कम करने और अधिक झाग व चमक दिखाने के लिए सिंथेटिक मिलावट करते हैं। डिटर्जेंट की थोड़ी मात्रा मिलाने से आइसक्रीम में झाग बनता है और वह ज्यादा सफेद और चिकनी दिखाई देती है। इससे उसका लुक और बनावट बेहतर लगता है, लेकिन यह सेहत के लिए ज़हर बन सकता है।
डिटर्जेंट वाली आइसक्रीम से क्या नुकसान हो सकते हैं?
- पेट दर्द और गैस की समस्या
- उल्टी और दस्त
- फूड प्वाइज़निंग
- लीवर और किडनी पर बुरा असर
- बच्चों और बुजुर्गों में इम्यून सिस्टम कमजोर होना
कैसे पहचानें कि आइसक्रीम में डिटर्जेंट मिला है?
- बिना पिघले देर तक टिके – यदि आइसक्रीम लंबे समय तक पिघले बिना बनी रहती है, तो यह संकेत हो सकता है कि उसमें केमिकल्स या सिंथेटिक पदार्थ मिलाए गए हैं।
- झाग का बनना – अगर आइसक्रीम को चम्मच से हिलाने पर उसमें झाग बनने लगे, तो यह डिटर्जेंट की मिलावट का संकेत हो सकता है।
- कड़वा या रासायनिक स्वाद – स्वाद में थोड़ी भी कड़वाहट या साबुन जैसा एहसास हो तो सतर्क हो जाएं।
- तेज़ रंग – नेचुरल फ्लेवर की आइसक्रीम में रंग हल्का होता है। जरूरत से ज्यादा चमकीला या अननेचुरल रंग भी मिलावट की ओर इशारा करता है।
क्या करें?
- हमेशा ब्रांडेड और FSSAI प्रमाणित आइसक्रीम ही खरीदें।
- सड़क किनारे बिकने वाली सस्ती और अनब्रांडेड आइसक्रीम से बचें।
- बच्चों को आइसक्रीम देने से पहले एक बार खुद जरूर जांचें।
- शक होने पर लोकल फूड डिपार्टमेंट को शिकायत करें।
स्वाद के चक्कर में सेहत से समझौता बिल्कुल न करें। थोड़ी सी जागरूकता आपके परिवार को मिलावटखोरी के इस खतरनाक जाल से बचा सकती है। याद रखिए, सच्चा स्वाद वही है जो सेहतमंद हो।