दिल्ली सरकार ने मंगलवार यानी 29 अप्रैल को एक अहम फैसले के तहत स्कूल फीस अधिनियम (School Fees Act) को मंजूरी दे दी है। इस अधिनियम का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में निजी स्कूलों द्वारा की जाने वाली मनमानी फीस वृद्धि पर रोक लगाना है। लंबे समय से अभिभावकों की मांग थी कि फीस निर्धारण को लेकर एक पारदर्शी और जवाबदेह व्यवस्था होनी चाहिए। सरकार के इस कदम को इसी दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है।
क्या है स्कूल फीस एक्ट?
दिल्ली में अब तक कोई ऐसा स्पष्ट अधिनियम नहीं था जो निजी स्कूलों की फीस निर्धारण प्रक्रिया को नियंत्रित करता हो। परिणामस्वरूप, कई निजी स्कूल हर साल मनमाने ढंग से फीस बढ़ाते थे, जिससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ता चला गया। नया अधिनियम इस स्थिति को नियंत्रित करेगा और स्कूलों को जवाबदेह बनाएगा।
अधिनियम के मुख्य प्रावधान:
- कोई भी निजी स्कूल बिना सरकार की अनुमति के फीस में बढ़ोतरी नहीं कर सकेगा।
- स्कूलों को अपनी फीस संरचना सार्वजनिक करनी होगी।
- फीस बढ़ाने से पहले उचित कारण और खर्चों का विवरण प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
- दिल्ली सरकार के अंतर्गत एक निगरानी तंत्र बनाया जाएगा जो फीस से संबंधित शिकायतों की जांच करेगा।
- फीस निर्धारण में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी और दोषी पाए जाने वाले स्कूलों पर जुर्माना भी लगाया जा सकेगा।
अभिभावकों को मिलेगी राहत
इस अधिनियम से लाखों अभिभावकों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है, जो लंबे समय से निजी स्कूलों की बढ़ती फीस से परेशान थे। शिक्षा मंत्री ने कहा कि यह कदम शिक्षा को सबके लिए सुलभ और किफायती बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी बताया कि अधिनियम जल्द ही विधानसभा में पेश किया जाएगा और पारित होने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा।
शिक्षा क्षेत्र में सुधार की ओर एक और कदम
दिल्ली सरकार ने पहले भी सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, जिनमें स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार, टीचिंग ट्रेनिंग और इंटरनेशनल एजुकेशन एक्सचेंज प्रोग्राम शामिल हैं। अब निजी शिक्षा क्षेत्र में भी जवाबदेही तय करने का यह कदम शिक्षा व्यवस्था में संतुलन लाने की दिशा में एक बड़ी पहल है।