भारत सरकार ने देश की परमाणु ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है, जिसके तहत विदेशी कंपनियों के लिए कानूनों को सरल बनाया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य 2047 तक 100 गीगावाट (GW) परमाणु ऊर्जा उत्पादन क्षमता हासिल करना है, जो वर्तमान में लगभग 8.2 GW है।
कानूनी सुधार: विदेशी निवेश के लिए रास्ता साफ
सरकार 2010 के “सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट” में संशोधन की योजना बना रही है, जिससे परमाणु संयंत्रों में दुर्घटना की स्थिति में आपूर्तिकर्ताओं की जिम्मेदारी को सीमित किया जा सके। इससे अमेरिकी कंपनियों जैसे जनरल इलेक्ट्रिक और वेस्टिंगहाउस को भारत में निवेश करने में आसानी होगी, जो अब तक अनिश्चित दायित्व के कारण हिचकिचा रही थीं।
निजी क्षेत्र को मिलेगा अवसर
“एटॉमिक एनर्जी एक्ट” में प्रस्तावित संशोधनों के तहत निजी कंपनियों को परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण और संचालन की अनुमति दी जाएगी। इससे एनपीसीआईएल (भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड) के एकाधिकार को समाप्त कर, निजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।
20,000 करोड़ रुपये का परमाणु ऊर्जा मिशन
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 में “न्यूक्लियर एनर्जी मिशन” की घोषणा की, जिसके तहत 20,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इस मिशन का उद्देश्य 2033 तक कम से कम पांच स्वदेशी रूप से विकसित छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) को चालू करना है।
भारत-अमेरिका सहयोग को मिलेगा बढ़ावा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी अमेरिका यात्रा से पहले यह पहल भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते को गति देने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। अमेरिका ने हाल ही में भारत के तीन प्रमुख परमाणु संस्थानों से प्रतिबंध हटा दिए हैं, जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग के नए रास्ते खुलेंगे।
स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक कदम
भारत का लक्ष्य 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन हासिल करना है। परमाणु ऊर्जा, जो कि एक स्वच्छ और स्थिर ऊर्जा स्रोत है, इस लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
इस रणनीतिक पहल से भारत की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी, विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा, और देश स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाएगा।