बिहार में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) का चलन तेजी से बढ़ रहा है। राज्य में पर्यावरण के प्रति जागरूकता, पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और सरकार द्वारा ईवी को प्रोत्साहन देने वाली नीतियों के चलते वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक 23,096 इलेक्ट्रिक वाहनों का पंजीकरण हो चुका है।
इसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों की रही है, जिनकी संख्या 22,133 दर्ज की गई है। वहीं, चारपहिया ईवी की संख्या 963 रही है। यह आंकड़ा साफ दर्शाता है कि बिहार के लोग अब परिवहन के लिए पारंपरिक ईंधन की बजाय हरित विकल्पों को प्राथमिकता देने लगे हैं।
तेजी से बढ़ रहा है ईवी चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर
सरकार की ओर से ईवी चार्जिंग स्टेशन बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है। शहरी क्षेत्रों में कई जगहों पर पब्लिक चार्जिंग पॉइंट स्थापित किए जा चुके हैं और जल्द ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसे विस्तार देने की योजना है। इससे ईवी अपनाने वालों को और भी सहूलियत मिलेगी।
युवाओं में सबसे ज्यादा क्रेज
ईवी दोपहिया वाहन खासतौर पर कॉलेज स्टूडेंट्स और युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। किफायती कीमत, मेंटेनेंस में कमी और स्टाइलिश डिज़ाइन इन्हें आकर्षक विकल्प बना रहे हैं।
सरकार दे रही सब्सिडी
बिहार सरकार भी ईवी को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी, टैक्स में छूट और रजिस्ट्रेशन फीस में राहत जैसी योजनाएं चला रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही रफ्तार बनी रही, तो आने वाले वर्षों में राज्य में पेट्रोल-डीजल वाहनों की जगह ईवी प्रमुख भूमिका निभाएंगे।
बिहार में ईवी को मिल रही यह बढ़ती स्वीकार्यता सिर्फ तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि पर्यावरण और आर्थिक समझदारी की ओर एक अहम कदम है। यह ट्रेंड न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को गति देगा, बल्कि सतत विकास के लक्ष्य को भी साकार करेगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार की परिवहन मंत्री शीला कुमारी ने कहा कि अब बिहार ईवी अपनाने में पीछे नहीं, बल्कि आगे बढ़ने की दिशा में है। उनका कहना है, “हम सिर्फ गाड़ियां नहीं बदल रहे, बल्कि अपनी जीवनशैली में बदलाव ला रहे हैं। हमारा सपना है कि बिहार देश के अग्रणी ईवी राज्यों में गिना जाए।” उन्होंने लोगों से अपील की कि वे इस सफर में भागीदार बनें और एक प्रदूषण-मुक्त बिहार बनाने में साथ दें।