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गरीबी को अपनी कमजोरी नहीं अपनी ताकत बनाया, ऑटो चलाने वाले का बेटा बना IAS ऑफिसर

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वों कहावत तो आपने सुनी होगी अगर इरादे मजबूत हों तो रास्ते खुद-ब-खुद बनते जाते हैं।” यह पंक्ति perfectly बैठती है महाराष्ट्र के जलना जिले के रहने वाले अंसार शेख पर, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से वो कर दिखाया जो लाखों सपने देखने वाले उम्मीदवारों का लक्ष्य होता है UPSC (IAS) परीक्षा पास करना, वो भी पहले ही प्रयास में। जीं हां यह कर दिखाया एक गरीब ऑटो चलाने वाले के बेटे के बेटे अंसार शेख ने।

पिता चलाते थे ऑटो, बेटा बना IAS

अंसार का जन्म एक बेहद साधारण और आर्थिक रूप से कमजोर परिवार में हुआ। उनके पिता एक ऑटो रिक्शा चालक हैं और मां खेतों में मजदूरी करती थीं। आर्थिक तंगी ऐसी थी कि कभी-कभी खाना भी पूरा नहीं मिल पाता था। लेकिन अंसार के सपने बड़े थे। जहां एक ओर परिवार का दबाव था, वहीं दूसरी ओर समाज की सीमाएं — लेकिन अंसार ने हार नहीं मानी।

शिक्षा बनी उम्मीद की किरण

अंसार ने अपनी शुरुआती पढ़ाई जलना के सरकारी स्कूल से की। स्कूली दिनों में ही उन्होंने ठान लिया था कि वो कुछ बड़ा करेंगे। जब बाकी बच्चे खाली समय में खेलते थे, अंसार घंटों किताबों में डूबे रहते थे। उन्होंने पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज से ग्रेजुएशन किया, जहां उन्होंने Political Science में डिग्री ली। पढ़ाई के दौरान उन्होंने कभी कोचिंग नहीं की, बल्कि खुद ही self-study से तैयारी की।

संघर्ष के बावजूद आत्मविश्वास नहीं डगमगाया

अंसार की उम्र सिर्फ 21 साल थी जब उन्होंने UPSC परीक्षा में हिस्सा लिया और पहले ही प्रयास में AIR 361 रैंक हासिल की। वो देश के सबसे कम उम्र के IAS ऑफिसर्स में से एक बन गए। उनके इस कारनामे ने न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि पूरे समाज को गौरवान्वित किया।

 अंसार की कहानी क्यों खास है?

  • उन्होंने गरीबी को अपनी कमजोरी नहीं, अपनी ताकत बनाया।
  • धार्मिक और सामाजिक सीमाओं को पीछे छोड़ते हुए खुद को एक भारतीय के रूप में स्थापित किया।
  • अपने छोटे भाई की मानसिक बीमारी के बावजूद अंसार ने परिवार को संभाला और पढ़ाई जारी रखी।

आज के युवाओं के लिए प्रेरणा

अंसार शेख आज लाखों UPSC aspirants के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी कहानी यह साबित करती है कि हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, अगर आपके अंदर जुनून है, तो आप हर मंज़िल पा सकते हैं। “असंभव कुछ भी नहीं — अगर हौसला बुलंद हो और नज़रें लक्ष्य पर टिकी हों।”

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